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Monday, March 7, 2011

मैं एक लड़की हूँ

"मैं एक कली हूँ खिलने दो मुझे....
मैं एक सुगंध हूँ महकने दो मुझे॥
"





क्यों है यह बंधन क्यों है यह सीमाए,
क्यों है यह उदासी क्यों है इतनी यहाँ पीडाए॥
क्यों आज भी मैं लक्ष्मी होकर पराई हूँ
क्यों आज भी बहु ही रहकर बेटी नही बन पायी हूँ॥ 




"मैं एक रत्न हूँ चमकने दो मुझे....
मैं एक कंगन हूँ खनकने दो मुझे॥ "



आजाद होने को मन था कबसे बेताब..
पाना चाहती थी बस अपना बराबरी का खिताब॥
आजाद होकर भी मैं अभी भी कैद हूँ
साथ चलते हुए भी मैं कितनी पीछे हूँ॥




"मैं एक तार हूँ बजने दो मुझे....
मैं एक जल तरन हूँ चलने दो मुझे॥ "



  

खुला आसमान है फिर क्यों मुझे उड़ने नहीं है देते..
क्यों पर निकलने से पहले ही मुझे तुम बाँध है देते॥
क्यों हमको माँ ने ही नहीं दिया सहारा
क्यों बाप ने ही कर दिया यूँ पराया॥ 



"मैं एक सुंदर परी हूँ उड़ने दो मुझे....
मैं एक बाबुल की चिडी हूँ चहकने दो मुझे॥ "



 


क्यों नहीं है आज सबके पास मेरे सवालो के जवाब..
क्यों अपना ही हमसफ़र राह में पहन लेता है नकाब॥
जब बात आती है साथ देने की तो क्यों वो गुम हो जाता है
जब बात होती है मुझको समझने की तो क्यों वो मुझे ही समझाता है॥





"मैं एक रौशनी हूँ फैलने दो मुझे....
मैं एक रंग हूँ रंगने दो मुझे॥ "



 


हर कन्या को हर कोई माँ दुर्गा कह पूजता जहाँ..
क्यों जन्म देते ही मरती लड़कियां वहां॥
लड़को के अरमानो को है पूरा किया जाता
क्यों लड़कियों को ही है दबाया जाता॥ 





"मैं एक तितली हूँ बगिया की होने दो मुझे....
मैं एक बरखा हूँ हर तरफ़ बरसने दो मुझे॥ "



मैं एक कोख हूँ पनपने दो मुझे....
मैं एक बीज हूँ अंकुरित होने दो मुझे॥
मैं एक तस्वीर हूँ अस्तित्व्त लेने दो मुझे..
मैं एक मिटटी हूँ कोई रूप लेने दो मुझे॥

 

मैं एक खवाब हूँ पूरा होने दो मुझे...
मैं एक दिल का अरमान हूँ मचलने दो मुझे॥
मैं एक खुशी हूँ खुल कर हसने दो मुझे...
मैं एक लड़की हूँ इस जहाँ में जीने दो मुझे॥ 
 

"मैं एक डरी सहमी आखें हूँ देखने दो मुझे....
मैं एक अजन्मी लड़की हूँ इस कोख से जन्म लेने दो मुझे॥ "
~'~hn~'~


Happy Women's Day

24 comments:

Melissa Tandoc said...

i had this page google translated to english... the title you used captured my eyes...

i journey with you through the whys of life... i love to listen to a woman speaking her heart :)

Simran said...

WOW!!!
Very touching and true post..
Your words have a great strength that made it more expressable :)

Excellent work!
wishing you all the same :)

Hema Nimbekar said...

@melissa

...WELCOME TO MY BLOG...
Thanks you so much for your sweet comments...you can find some more related posts(earlier posts) in similar blog...

@simran
thank you sweetheart..

Minakshi Pant said...

its beautiful keep it up

Hema Nimbekar said...

धन्यवाद Minakshi Pant ji

shyam gupta said...

सुन्दर अभिव्यक्ति----

सुगन्ध को महकने से कौन रोक पाया है।
रत्न को चमकने से कौन रोक पाया है ।
रोशनी जो हो तो फ़ैलकर ही रहोगी’श्याम,
डरी सहमी आंखों में भी इक जहां समाया है ।।

Shahin said...

ख्वाब हूँ पूरा करना है मुझे,
खुल कर हँसना भी है मुझे,
मै एक लड़की हूँ
ऊँचाइयों को छूना है मुझे.

Hema Nimbekar said...

@Dr. shyam gupta
बहुत बढ़िया खूब लिखा आपने भी...

सच कहा आपने श्याम गुप्ता जी....
हीरा कोयले की खान में भी हिरा ही होता है वहां भी उसकी चमक वैसी ही होती है बस थोड़ी सी रख लगी होती है और हीरे को उस राख और कोयले की खान में से पहचाना भी एक कला है!! नहीं तो उस हीरे की क्या कीमत..

बस वही हीरे को पहचानने वाली नज़र चाहिए जो एक लड़की की महत्वता को समझे..उसे भी जीने का हक़ दे. खिलने का, महकने का, चमकने का मौका दे..

Hema Nimbekar said...

@shahin
धन्यवाद ....कुछ पंक्तियाँ जोड़ने के लिए भी शुक्रिया...

DR. ANWER JAMAL said...

आपकी रचना हकीकत बयान करती है ।
क्या आप
pyarimaan.blogspot.com
की सदस्या बनकर माँ के बारे में संवेदनाएं जगाने में हमारी मदद करना चाहेंगी?
आपको सचमुच अच्छा लगेगा ।

Hema Nimbekar said...

अनवर जमाल साहब मेरे ब्लॉग में आपका बहुत बहुत स्वागत है..

आपको मेरी रचना अच्छी लगी यह जानकर मुझे सचमुच अच्छा लगा...

जी जरूर क्यूँ नहीं, माँ और पिता के बारे में संवेदनाएं जगाना किसे अच्छा नहीं लगेगा...पर वहां मैं कैसे सदस्य बन सकती हूँ यह भी विस्तार से बताईये....

संजय भास्‍कर said...

Excellent work!

संजय भास्‍कर said...

सुंदर भाव...खुबसुरत रचना

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
अच्छा काव्य प्रयास है … और श्रेष्ठ सृजन के लिए मंगलकामना है ।

Hema Nimbekar said...

संजय भास्कर जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद |

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Hema ji,
Bahut saral shabdon men itne salike se apne bharatvarsh ki ek badi samsya ko rekhankit kiya hai...hardik badhai....

Hema Nimbekar said...

@हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar

धन्यवाद हेमंत जी

Motifs said...

The angel of the Family is Woman. Mother, wife, or sister, Woman is the caress of life, the soothing sweetness of affection shed over its toils, a reflection for the individual of the loving providence which watches over Humanity. In her there is treasure enough of consoling tenderness to allay every pain. Moreover for every one of us she is the initiator of the future. The mother's first kiss teaches the child love; the first holy kiss of the woman he loves teaches man hope and faith in life; and love and faith create a desire for perfection and the power of reaching towards it step by step; create the future, in short, of which the living symbol is the child, link between us and the generations to come. Through her the Family, with its divine mystery of reproduction, points to Eternity.
Giuseppe Mazzini
This is your BEST...I love it Hema...I am sorry to say that,but we are still looked down upon in our country,and everything you have written is true...I salute you,your this excellent piece of work.

Hema Nimbekar said...

@Motifs
Alpana di
Thank you..everything you say matters a lot to me..gives me strength and encouragement..lots of love to you.

Irfanuddin said...

मैं अभी-अभी एक लेख पढ़ रहा था जिसमें महिला की संख्या के गिरते अनुपात के बारे में लिखा है, जान के दुख होता है के अभी भी कई गाँव ऐसे हैं जहां लड़कियों को जन्म के बाद मार दिया जाता है....
और आपकी इन चार पंक्ति में उन लड़कियों की पुकार मैं महसूस कर रहा हूँ.....

मैं एक कोख हूँ पनपने दो मुझे....
मैं एक बीज हूँ अंकुरित होने दो मुझे॥
मैं एक तस्वीर हूँ अस्तित्व्त लेने दो मुझे..
मैं एक मिटटी हूँ कोई रूप लेने दो मुझे॥....

आभार,
इरफान...

Hema Nimbekar said...

@IRFANUDDIN

unfortunately this is really...brutal truth of the ground...we can't ignore...but we all know situation is more worst than number shows...

Daughters are really precious..they just want love and equality(as respect, as love, as importance as give to son)

thanks for reading...

Mohini Puranik said...

No Words! Just perfect expression of all the emotions of a girl and the society, great massage too.

I also had a poem on Women's day on Chaitanyapuja!

That may be reply to this poem, a girl will say this, lovingly but if nobody respects and listen then......she will take her rights!!!

Not as self promotion, but you will love that in the context of the subject!

Hema Nimbekar said...

@Mohini

thank you Mohini dear...I would like to read you...

Unknown said...

Let us cherish the birth of the girl child and promote the same message

How u find my blog??

लिखिए अपनी भाषा में

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