क्षितिज ने सीमा को बताया की दोनों बच्चे माँ के साथ उनके कमरे में सोने चले गए है.......तब सीमा drawing room में गई...रमेश सीमा को देख कर मुस्कुराया...और खुश हो कर बोला..."सीमा क्या है!... जबसे हम आए है तब से रसोई में ही हो.....अरे थोड़ा बैठ कर बातें तो करो ना....खाना वाना बाद में हो जाएगा"
सीमा बड़ी हैरान हुई..की रमेश को खाना वाना बाद में चलेगा..वो तो हमेशा से ही जब अपने मामा के घर आता था..उसको सबसे पहले खाना चाहिए होता था...हमेशा सीमा की माँ से कहता था...मामी खाना लगा दो बहुत भूख लगी है..आज उसे क्या हो गया है?
निम्मो बुआ बोली...."सीमा बेटी....तुमसे मिलना ही कहाँ हो पाता है...कितने सालो बाद मिली हो.....तुम्हारे बच्चे भी कितने सुंदर है....बिल्कुल तुम्हारी तरह लगते है दोनों...जैसे तुम बचपन में थी"
तभी रमेश बोला..."हाँ माँ देखो पीयूष तो बिल्कुल अमन जितना है...फिर भी कितना होशियार है बिल्कुल सीमा की तरह...अमन मेरा बड़ा बेटा है सीमा...मैं अभी जीजा जी को बता ही रहा था की अमन भी पीयूष के जितना बड़ा है...बहुत शैतान है...पढ़ाई का नाम ही नही लेता बस खिलवा लो जितना मर्ज़ी..."
तभी क्षितिज का मोबाइल फ़ोन बजा..और क्षितिज drawing room से उठ कर फ़ोन पे बात करने चला गया..अब रूम में सिर्फ़ निम्मो बुआ, रमेश और सीमा ही थे...निम्मो बुआ बोली.."सीमा हम लोग यहाँ राकेश की शादी का निमंत्रण पत्र देने आए है...यह लो....25 दिन बाद शादी है...तुम क्षितिज, अपनी साँस और बच्चो के साथ ज़रूर आना.."
सीमा अचानक से खड़ी हो गई और हाथ जोड़ कर बोली.."बुआ हमें माफ़ करे हम शादी में नही आ पाएंगे.."निम्मो बुआ.."क्यों बेटी..." सीमा उनको बीच में ही टोकते हुए बोली.."अभी मेरी बात पूरी नही हुई है बुआ जी"....तभी क्षितिज भी वापस रूम में आ गया था...सीमा फिर बोली.."हम यह निमंत्रण पत्र भी नही ले सकते बुआ जी.."
रमेश बोला.."क्यूँ ऐसा क्या हुआ सीमा.."......"तुम जानते हो ऐसा क्या हुआ..रमेश...क्षितिज भी सब जानते हैं....उनसे मैंने कुछ नही छिपाया है.....रमेश...तुम लोग बार बार आ कर मुझे वो करने को क्यों मजबूर कर रहे हो जो मैं नही करना चाहती हूँ...."
"तुम कैसी बातें कर रही हो बेटी...राकेश की शादी है हम तो तुमको खुशी से अपनी इस खुशी में शामिल करना चाहते है..."..निम्मो बुआ बोली.....निम्मो बुआ थोड़ा घबरा ज़रूर रही थी...शायद यह जान कर की क्षितिज को सब पता है..उनको शर्म आ रही थी...या फिर कोई और डर....
"बुआ आप लोग क्यों नही समझते जो राकेश ने किया उसके लिए मैं कभी भी उसे चाहते हुए भी माफ़ नही कर पाऊंगी..." सीमा बोली ...."बुआ जी यह आप भी जानती और मैं भी की उस दिन जो मैंने किया बिल्कुल ठीक किया....अगर मैं चुप रहती तो मुझे कितना कुछ अकेले ही सहन करना पड़ता....मगर बुआ जी..सब कुछ बोलने के बाद भी मुझे बार बार उसी बात को महसूस कराया जाता है...जब भी आप या रमेश मेरे सामने आते हैं तो मैं फिर वहीँ पहुँच जाती हूँ.."
सीमा रो ही पड़ी थी..क्षितिज ने उसे थाम लिया था..फिर रमेश की ओर देख कर सीमा बोली......"रमेश तुमको तो हमने पहले ही सब बता दिया था की अब हम तुम लोगो से कोई रिश्ता नही रखना चाहते..तो क्यों बार बार घर आ कर तुम रिश्ता बनाना चाहते हो...आप लोगो के बार बार सामने आने से मुझे बार बार उस दौर से, उस दर्द से गुज़रना पड़ता है...मैं कभी भी उस बात को नही भूला सकती..."
"क्या जो हुआ उस से सिर्फ़ राकेश को सज़ा मिली है...नही...बल्कि हम सबको कहीं न कहीं कितने रिश्तो नातों को तोड़ना पड़ा है...तो क्या गलती सिर्फ़ राकेश की थी...नही बल्कि गलती औरो की भी थी...."
निम्मो बुआ और रमेश दोनों एकदम shock हो गए..कमरे में कुछ देर तक सनाता छा गया था....
"बुआ जी आपकी गलती..कि आप इतने सालो तक फूफ्फा जी डांट और मार सह रही है...मानती हूँ सहन करना अच्छी बात होती है....मगर जरूरत से ज्यादा सहन करना भी दुसरे को और ताकत देना है.....अत्याचार करने वाला और अत्याचार सहने वाला दोनों गुन्हेगार होते है....और रमेश तुम.....बुआ ही नही तुम ने भी कभी फूफ्फा जी को यह एहसास नही कराया कि....तुम पर ,तुम्हारे भाइयो पर और तुम्हारी माँ पर कितना जुल्म कर रहे है वो..रमेश तुम तो बस डरते रहे....तुमसे इतना नही हुआ की जब तुम बड़े हो गए..कमाने लगे तुम अपने पापा को यह बता सको कि बस अब बहुत हुआ"
"अब आप बताइए जिस लड़के ने बचपन से लेकर सिर्फ़ अपने घर में अपनी माँ, एक औरत को लाचार और चुप चाप सहने वाली एक कटपुतली की तरह देखा..जिसने अपने बड़े भाई को डरा हुआ देखा...वो बच्चा ख़ुद कितना डरा हुआ होगा...और लड़की की ओर उसकी सोच क्या रह जायेगी...कि लडकियां तो बहुत कमज़ोर और अत्याचार सहने वाली होती है...उन पर कितना भी अत्याचार हो वो कभी आवाज़ नही उठाती....ऐसे माहोल में पलने वाला बच्चा यह सब नही करेगा तो क्या करेगा..."
"अगर बुआ जी आप फूफ्फा जी के ख़िलाफ़ उस वक्त कुछ करती जिस दिन उन्होंने सब हद पार कर दी थी...या आप उनसे अलग भी हो जाती....मगर आपको आपके बेटे ऐसे दिन नही दिखाते...भले ही उन्हें अपने पापा की कमी खलती मगर वो उस डर और दहशत में नही जीते...जिस में आप साँस लेती आई है..."
"यह तुम क्या कहे जा रही हो सीमा बेटी.."...निम्मो बुआ बोली...
"क्यों क्या मैंने कुछ ग़लत कहा है...तुम बताओ रमेश क्या मैंने कुछ ग़लत कहा है..." सीमा की आवाज़ ऊँची हो गई थी.....सीमा अब क्षितिज के पास से आगे आकर रमेश की आँखों में आँखें डाल कर बात कर रही थी....
"तुम तो जानते हो रमेश की तुम्हारे मामा..... मेरे पापा और मेरे परिवार ने कितना कुछ सहा है...तुम बताओ अगर तुम लोग एक बार कड़क दिल कर कोई फ़ैसला लेते तो क्या हम लोग तुम लोगो की मदद नही करते...मगर तुम लोगो को तो डर में जीने की सी आदत हो चुकी थी..."
"मैं अब बस यही चाहती हूँ की अब आप लोग मुझसे कोई उम्मीद न रखे....न तो मैं यह invitation ले पाऊंगी और ना ही शादी में आऊंगी......अब आप लोगो से कोई वास्ता रखना ही नही चाहती मैं...बस बहुत सह लिया..बहुत जी लिया वो दिन मैंने बार बार..अब नही..अब मैं अपने पति के साथ बिना किसी दर्द के, बिना किसी डर के रहना चाहती हूँ..आप हमें माफ़ करे...." सीमा ने दरवाजे की ओर इशारा कर दिया।
निम्मो बुआ और रमेश भी समझ गए थे.....और वो लोग भी दरवाजे की ओर चल पड़े...
उनके जाते ही सीमा ज़ोर ज़ोर से रोने लगी...क्षितिज ने उसे अपना सहारा दिया...."क्षितिज तुम्हारी वजह से इतना कुछ कह पायी मैं आज...वरना यह बातें दिल ही में रह जाती...हमेशा....इतनी हिम्मत नही थी मुझ में... यह सब तुमने मुझसे करवाया....पता नही मैंने यह ठीक किया या ग़लत।"
"तुम्हारा कोई ही फ़ैसला होता मैं तुम्हारा साथ देता...जैसे अभी दे रहा हूँ.." क्षितिज ने बस इतना ही कहा।
THE END
~'~hn~'~
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.
5 comments:
शुक्रिया.. मनप्रीत जी ...वैसे आपके ब्लॉग सुन्हरेपल/Shayari Dil Se के सारे-के-सारे पोस्ट भी अच्छे है...
Nimo bua ki kahania meow se yahan par aakar badi achi lag rahi hai padhne mein :)
aap toh hamesha hi mast stories likhte ho hemu di
-Sneha
hey sneha..
how r u dear??
..WELCOME TO MY BLOG DEAR..
yeah meow pe yehi to post ki thi..but still miss those meow days...you know one of story..Real_soulmate...meow ke saath hi chali gayi...as maine use paper pe bhi ahi utaara tha aur aa hi soft copy banayi thi us story ki..:(
any way...good to see u here..I m glad u found me here...
keep in touch...keep visiting...
bahut hi achha msg diya hai aapne. thanks k ye last part varna meri to suspense me saans hi atki rahti.just kidding.. hey it was really a very nice story. i didnt miss even a one part.keep writing
thanks dear.....there are more stories coming up...I hope u won't miss them too...
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