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आजाद है हम गुलामी की ज़ंजीरो से
क्या आजाद है ज़मीरो के बाजारों से
रोज़ बिकते है यहाँ ईमान कुछ ही हजारो में
भरा हुआ पूरा देश ऐसे विक्रेताओं और खरीदारों से
आजाद है हम शारीरिक आचारो से
क्या आजाद है मन और विचारो से
मानते है सभी आज के दौर में लड़का और लड़की एक समान है
लड़के की सोच गलत नहीं लड़की के पहनावे से ही उसकी पहचान है
आजाद है हम वाणी की सभ्य-असभ्य सीमाओं से
क्या आजाद है सोच की उड़ान की होती ऊँचायियो से
गाली गलोच और आरोप-प्रत्यारोप बिना अब कोई बात मुमकिन नहीं
सही सोच वाले को बेवकूफ समझ कर किया जाता अब यकीन नहीं
आजाद है हम जो चाहे करने को
क्या आजाद है आवाज़ उठाने को
पर हक नहीं गणतंत्र देश की नीतियों की त्रुटी सुधारने के लिए
आजाद है हम साहूकार और तेकेदारो से
क्या आजाद है महंगाई को लाती सरकारों से
अनाज उगाता किसान पुरे देश को भर पेट खिलाता है
न तो वो व्यापारियो की और न खुद की भूख मिटा पाता है
आजाद है हम आओ एक बार सोचे फिर से
क्या आजाद है होने का मतलब तनमन से
~'~hn~'~
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