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Thursday, March 17, 2011

"निम्मो बुआ" (part 4)

सुबह के 9 बज चुके थे....आज सीमा को देर हो गई थी नाश्ता तैयार करने में...वो देर से जो उठी थी....क्षितिज ने भी उसे उठाया नही था.... और वो jogging के लिए चला गया था.. क्षितिज जानता था.. वो रात को देर से सोयी थी.. इसलिए उसने उसे उठाया नही था....क्षितिज jogging से आने के बाद सीमा की रसोई में मदद करने लगा...क्षितिज बहुत ही अच्छा पति था... सीमा के मन में कब क्या चल रहा होता है वो उसे सीमा के बिना कहे ही समझ आ जाता था..... इसीलिए तो जब भी सीमा को उसकी मदद की ज़रूरत महसूस ही होती तभी क्षितिज उसके सामने होता..और मदद करने को तत्पर रहता....

सबका नाश्ता होने बाद... सीमा और क्षितिज नाश्ता करने लगे... क्षितिज ने सीमा को अपने एक project के बारे में बताया.. और उसकी advice भी मांगी.. सीमा को पता था क्षितिज उसका ध्यान उन बातों से दूर करने के लिए यह सब कर रहा है... सीमा ने उसे दो तीन बातें बताई...और कुछ advice भी दी... फिर क्षितिज ने अपने ऑफिस के कुछ किस्से भी सुनाये....

11 बजे तक सीमा का सब काम ख़त्म हो गया था...सीमा drawing room में आके बैठ गई....क्षितिज भी पास बैठ कर laptop पे अपना कुछ काम कर रहा था...सीमा फिर से सोचने लगी सीमा का स्कूल और कॉलेज सब co-ed में हुआ था..राकेश हमेशा से boys स्कूल में पड़ा था वो लड़कियों के साथ बात नही कर पाता था... काफ़ी चुप चाप रहता था लड़कियों के बीच..

उस दिन भी वो चुप ही था...चुप चाप TV देख रहा था..सीमा भी TV के channels बदल बदल कर songs सुन रही थी....साथ ही साथ गा भी रही थी...उसने राकेश की और देखा...फिर ना जाने राकेश को क्या हुआ..वो सीमा की और जल्दी से लपका...उसने सीमा के दोनों गालो पे अपने दोनों हाथ रख दिए और अपना मुह उसके मुह के बिल्कुल सामने ले आया..सीमा कुछ समझ पाती की यह क्या कर रहा था..इतने में राकेश ने उसके होठो को अपने होठो से मिलाने की कोशिश की...उस वक्त सीमा बहुत कमज़ोर महसूस कर रही थी मगर फिर अचानक ना जाने उसमें अजीब सी शक्ति आ गई...उसने TV remote जो की उसी के हाथो में था ज़ोर की राकेश के मुह पे दे मारा....राकेश भी झून्झला उठा..सीमा ने उसको थोड़ा और ज़ोर की remote मारा... फिर अपने दोनों हाथो से उसके गालो में दो चार चांटे लगा दिए...राकेश और सीमा कुछ देर के लिए शांत हो गए.. फिर राकेश बोला..."i m sorry...सीमा...मुझे पता नही क्या हो गया था...बहन..i m sorry.."

सीमा की आँखों से ज़ोर ज़ोर से आंसू निकल रहे थे..वो समझ नही पा रही थी यह क्या हुआ और क्यूँ हुआ....शायद जो हुआ था उसका मन और दिमाग दोनों ही उसे स्वीकार नही कर रहे थे.....वो राकेश की और देखने लगी...कुछ न कह कर भी उसकी आँखें राकेश से यह सवाल ज़रूर कर रही थी की यह क्या था...क्यूँ किया उसने ऐसा..वो तो उसे हमेशा छोटा भाई समझती थी..वो ऐसा कैसे कर सकता है अपनी ही बहन के साथ...और sorry कहने से क्या सब कुछ ठीक हो जाएगा....उसके मुह से sorry सुन कर सीमा को और गुस्सा आ रहा था...उसे घृणा सी हो रही थी उस से...

राकेश की आँखों में भी आंसूओं और डर दोनों साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे सीमा को...राकेश बोला.."बहन किसी को मत बताना..जो हुआ उसे भूल जाओ...मुझे भी नही पता की यह कैसे हुआ..शायद पढ़ाई का pressure था या कुछ और..मुझे नही मालूम...sorry...तुम चाहो तो मुझे खूब मार लो..पीट लो...पर please यह बात किसी को नही बताना..मैं अब भी तुम्हे उसी तरह बहन मानता हूँ...तुम भी मुझे भाई ही मानना..." राकेश की जैसे हवायिआं ही उड़ गई थी.

सीमा को पता नही क्यों उसकी किसी भी बात पर विश्वास नही हो रहा था.....वो उसे और ज्यादा ज़ोर की मारना पीटना चाहती थी.....सीमा चुप चाप वहां से उठ कर रसोई में चली गई...रसोई में ज़ोर ज़ोर से रोने लगी...तभी उसकी माँ घर आ गई...सीमा ने जल्दी से आंसू पूछे...सीमा की माँ बोली.."सीमा मैं ice cream लायी हूँ खा लेना...अरे तुमने अभी कुछ भी नही किया..बोलके तो गई थी बाकी का काम कर लेना..तुम भी न सीमा...हे भगवान् TV के आगे कुछ नही करती यह लड़की.."....सीमा चुप चाप काम करने लगी....

सीमा की माँ राकेश को ice-cream देने चली गई..और इधर सीमा सोचने लगी... "की जो हुआ वो उसे माँ को बताना चाहिए की नही...सोचते सोचते सीमा न जाने कहा तक पहुच गई...फिर उसको ध्यान आया की राकेश की करतूत न बता कर शायद सीमा राकेश का होसला बड़ा रही है...राकेश तो उसके चाचा के यहाँ भी आता जाता है और वहां भी उसकी दो छोटी बहने है....सीमा को उनकी चिंता होने लगी..क्या पता यह सब उनके साथ भी...नही नही...मुझे माँ को बताना चाहिए..और कल नही अभी इसी वक्त इस राकेश के सामने ही...ताकि राकेश का सच सामने आए..."

सीमा सब काम छोड़ कर माँ और राकेश के पास गई...वो राकेश को घूरने लगी...सीमा की माँ ने कहा.."क्या हुआ..." सीमा ज़ोर ज़ोर से रोने लगी...उसकी माँ ने फिर पुछा.."क्या हुआ..रो क्यों रही हो.."....सीमा ज़ोर से चिल्लाई.."इसी से पूछो इसने क्या किया है..."..राकेश सर झुकाए बैठा रहा...माँ भी परेशान हो गई....और राकेश की और देखने लगी...जब काफ़ी देर तक राकेश न नही बताया तो ..सीमा ने रोते रोते माँ को बता दिया....राकेश की ओर देख कर कहा.."मैं नही बताती तो तुम्हारी हिम्मत और बढ़ जाती और तुम मेरे साथ या किसी और के साथ फिर ऐसा कुछ करते..."....राकेश सीमा की माँ के सामने गिडगिडाने लगा..."मामी मुझे माफ़ कर दो...मुझे पता नही क्या हो गया था.."

सीमा की माँ भी सदमे में थी..कुछ बोल नही पा रही थी...बस इतना ही बोला.."अगर तेरे मामा यहाँ होते तो तुझे जेल की हवा लगवा चुके होते..."..सीमा बोली.."माँ इसको बोलो यह अभी के अभी यहाँ से चला जाए और फिर यहाँ कभी न आए..."...सीमा की माँ ने राकेश को बोला "मुझे पता नही क्या करना चाहिए...बस अभी काफ़ी रात हो चुकी है इसलिए तुम जा कर सो जाओ...और सुबह सुबह ही यहाँ से चले जाना..."...राकेश चुप चाप चला गया....सीमा की माँ ने सीमा को कहा "मेरा मन कर रहा है इसको घर से बहार निकल दू...मगर आज न तेरे पापा यहाँ है न तेरे भाई.."

अगले दिन सुबह सुबह ही राकेश चला गया....रात भर सीमा को डर लगता रहा..वो सोचती रही..सो नही पायी थी वो ठीक से....दोपहर को उसके पापा आ गए....उसके लिए gift ले कर आए थे..सीमा नए कपड़े पहन रही थी...तभी उसकी माँ ने उसके पापा को सब कुछ बताया...फिर सीमा के पापा ने उसे उसका gift दिया और बोला सब भूल जाओ...बस आगे से उनसे हमारा कोई रिश्ता नही है...

धीरे धीरे यह बात सब रिश्तेदारों के यहाँ पहुच गई...सीमा के पापा ने फ़ैसला कर लिया था..की अब उनका रिश्ता वैसा नही रहेगा...सीमा जानती थी पापा सबके सामने नही बोल पा रहे है..मगर उनको बहुत गुस्सा आ रहा है...निम्मो बुआ कई बार बात करने सीमा के घर आई...शायद उनको इस सब पर यकीन नहीं था...मगर जब माँ ने उनको बताया की राकेश ने ख़ुद अपने आप यह बात कबूली थी उनके सामने..तब निम्मो बुआ को मानना पड़ा...

सीमा के भाई सूरज जब college tour से घर वापस लौट के आया तो सीमा ने उसको ख़ुद दो चार दिन बाद यह बात बताई.....सूरज को भी बहुत गुस्सा आया.."हम लोग उनको कितना भाई भाई करते है..और उनके दिलो में ऐसा कुछ है...कितने काले दिल के है यह लोग.. उनकी अपनी कोई बहन नही है..तो किसी की भी बहन की कोई इज्ज़त नही..."...सीमा बोली.."आगे से उनसे हमारा कोई वास्ता नही..बस यही एक सज़ा है....उनके लिए...".सीमा को उस वक्त भी बहुत गुस्सा आ रहा था...

फिर एक दिन रमेश सीमा के घर आया...तब सूरज ने उस से साफ साफ़ कह दिया.."अब तुम हमसे पहले की तरह रिश्ते की उम्मीद मत रखो..हम यह सब सहन नही करने वाले..उस दिन पापा और हम नही थे इसलिए वो जेल जाने से बच गया.." रमेश कुछ बोल नही पा रहा था...चुप चाप सुनता रहा..

अब भी अक्सर रमेश सीमा के घर आता..मगर यहाँ उस से कोई ठीक से बात नही करता था...फ़ोन पे बातें तो पहले ही बंद हो गई थी...किसी के यहाँ भी किसी की खुशियों में या किसी भी occassion पर कहीं सभी रिश्तेदार मिलते तो..निम्मो बुआ के परिवार से सीमा का परिवार कोई भी बात नही करता था...जहाँ तक हो सके निम्मो बुआ के परिवार से आमना सामना न हो इस बात का ख्याल हमेशा सीमा का परिवार रखता था....राकेश का तो कहीं आना जाना बंद हो ही गया था...अब वो बस आपने घर में ही रहता था....शायद निम्मो बुआ ने ही उसे कहीं जाने को मना किया हुआ था..या वो ख़ुद ही कहीं आता जाता नही था....उसे भी शायद पता था की जो उसने किया बहुत ग़लत किया....

सीमा की शादी,रमेश,राकेश,सूरज और नील की शादी.. सभी की शादियों में भी बस सब एक दुसरे को चुप चाप देखते रहते..आंखों में कई सवाल लिए..मगर होठो को तो जैसे किसी ने सिल दिया हो...सीमा तो उनके किसी भी function में नही गई थी.....शादी के बाद तो वैसे भी नही...क्षितिज को भी उसने शादी के कुछ दिनों बाद ही बता दिया था की उनका और सीमा की परिवार में बहुत सारी problems है...और सीमा के साथ जो हुआ वो भी क्षितिज को पता था...सीमा ने क्षितिज को सब बताया था....सीमा अंदर ही अंदर कभी कभी सोचती थी...की राकेश की गलती की सज़ा क्या उसके पुरे परिवार को देना ठीक है...क्या निम्मो बुआ, रमेश और राजेश का कोई कसूर है जो उनको सज़ा मिल रही है....क्या राकेश की गलती माफ़ी के लायक थी....क्या उसे बाकिओं को माफ़ कर देना चाहिए...

ting...tong..ting...tong..घर की घंटी की आवाज़ ने सीमा को उसकी सोच की गहराईओं से बाहर निकाला....करीब 1 बज चुका था...क्षितिज ने दरवाजा खोला.."नमस्ते...आईएं ना..." क्षितिज ने कहा। सीमा ने देखा निम्मो बुआ ही थी..बहुत ही थकी हुई और बूढी लग रही थी...साथ में रमेश भी था....सीमा ने भी दोनों हाथ जोड़े और सर हिलाया...निम्मो बुआ ने भी सर हिला कर और मुस्कुरा कर जवाब दिया...सीमा से वहां खड़ा नही हुआ जा रहा था...इसलिए वो कुछ मिनटों बाद ही रसोई में चली गई...

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

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