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Thursday, August 25, 2011

आत्ममंथन


मैं एक व्यक्तित्व हूँ
मैं एक अस्तित्व हूँ
 आज ही जाना मैंने खुद को
असल में पहचाना खुद को


गुप-अँधेरे जंगलों में ढूढी रौशनी
पर मिली खुद में ही भव्य ज्योति
मैं ही ज्योतिमय आत्मा हूँ
मैं ही तो दिव्य महात्मा हूँ
आज ही जानी शक्ति खुद की 
असल में पहचानी भक्ति खुद की







घिरा था बहुत सी जटिल परेशानियों से
हल मिला अंतर्मन की गहरायिओं में
मैं ही खुद सवाल हूँ
मैं ही खुद जवाब हूँ
आज ही जाना इस अंतर्द्वंद को
असल में पहचाना शीत युद्ध को





जिनको बनाया रक्षक मैंने चुनकर
बन गए आज वही भक्षक मुझे लूटकर
मैं तो आम मतदाता हूँ
मैं तो आम जनता हूँ
आज ही जाना मालिक खुद को
असल में पहचाना सेवक खुद को


मानता था अकेला चना क्या भांड फोड़ेगा
याद कहाँ था दुश्मन लोहे के चने कैसे चबायेगा
मैं एक आशावादी हूँ
मैं एक अहिंसावादी हूँ
आज ही जाना सत्याग्रह को
असल में पहचाना जन आग्रह को



जलता था पल-पल जीवन की आपाधापी में
मजबूरी समझ पीसता था व्यवस्था की नाकामी में
 मैं भी एक लाचारी हूँ
 मैं भी एक शिष्टाचारी हूँ
आज ही जाना त्याग खुद को
असल में पहचाना आग खुद को

~'~hn~'~
(Poems written by me on India Against Corruption Support Anna Hazare and Team - 16 Aug, 2011 .....)

Monday, August 15, 2011

आजाद है हम

This post has been published by me as a part of the Blog-a-Ton 23; the twenty-third edition of the online marathon of Bloggers; where we decide and we write. To be part of the next edition, visit and start following Blog-a-Ton. The theme for this month is FREE.

आजाद है हम गुलामी की ज़ंजीरो से 
क्या आजाद है ज़मीरो के बाजारों से

रोज़ बिकते है यहाँ ईमान कुछ ही हजारो में
भरा हुआ पूरा देश ऐसे विक्रेताओं और खरीदारों से

आजाद है हम शारीरिक आचारो से
क्या आजाद है मन और विचारो से

मानते है सभी आज के दौर में लड़का और लड़की एक समान है
लड़के की सोच गलत नहीं लड़की के पहनावे से ही उसकी पहचान है

आजाद है हम वाणी की सभ्य-असभ्य सीमाओं से
क्या आजाद है सोच की उड़ान की होती ऊँचायियो से

गाली गलोच और आरोप-प्रत्यारोप बिना अब कोई बात मुमकिन नहीं
सही सोच वाले को बेवकूफ समझ कर किया जाता अब यकीन नहीं

आजाद है हम जो चाहे करने को
क्या आजाद है आवाज़ उठाने को


काबिल है हम अपना मत दे कर अपना नेता चुनने के लिए
पर हक नहीं गणतंत्र देश की नीतियों की त्रुटी सुधारने के लिए

आजाद है हम साहूकार और तेकेदारो से
क्या आजाद है महंगाई को लाती सरकारों से

अनाज उगाता किसान पुरे देश को भर पेट खिलाता है
न तो वो व्यापारियो की और न खुद की भूख मिटा पाता है

आजाद है हम आओ एक बार सोचे फिर से
क्या आजाद है होने का मतलब तनमन से
~'~hn~'~

The fellow Blog-a-Tonics who took part in this Blog-a-Ton and links to their respective posts can be checked here. To be part of the next edition, visit and start following Blog-a-Ton. Happy Independence Day!

Saturday, August 13, 2011

Raksha Bandhan--Thread of Protection bond

आज रक्षा-बंधन के त्यौहार के उपलक्ष पर हम दोनों (हेमा और सिमरन) यह सयुंक्त पोस्ट सभी भाई-बहनों को समर्पित करते हैं.  जैसा की सभी जानते है कि इस त्यौहार में बहन का अपने भाई की कलाई पर राखी या पवित्र धागा (डोरी) बंधना शामिल है.  यह त्यौहार बहन के प्यार और उसके भाई की भलाई के लिए बहन की प्राथना और भाई का अपनी बहन को बदले में दिए गए उसकी रक्षा करने का उसकी आजीवन रक्षा करने का व्रत का प्रतिक है. बहन भाई को तिलक लगा कर उसकी आरती कर भाई की लम्बी उम्र और उसकी उन्नति की कामना करती है. भाई-बहन परंपरागत एक दुसरे को उपहार देते है और एक दुसरे को खूब मिठाइयाँ खिलाते है. छोटे भाई बड़ी बहनों के और छोटी बहन बड़े भाइयों के पैर छू कर आशीर्वाद लेते है. भाई-बहन एक दुसरे के लिए मंगल कामनाएं करते है.


Today, on the day of Raksha Bandhan (An Indian festival which celebrate the relationship between brothers and sisters) we (Hema and Simran) dedicated this combined post to all Brothers and Sisters. As we all know that this festival involves the tying of a rakhi (sacred/holy thread) by a sister on her brother's wrist. This symbolizes the sister's love and prayers for her brother's well-being and the brother's lifelong vow to protect her. By putting Tilak on brother's forehead and doing Aarti to him sisters prayer for his long life prayers and wishes of his progress. The brother and sister traditionally offer presents to each other and feed lots of sweets to one another. Little Brother/Sisters take blessings from their Big Sisters/Brothers by touching their foot. Brothers and Sisters wishes for prosperity and well being of each other.

इस पर्व पर हमने एक-एक कविता लिखी है...
 
We have written 1-1 Poem each on this festival....
 


पहली कविता---एक सबसे बड़ी बहन (हेमा) द्वारा अपने दोनों छोटे भाइयों के लिए लिखी गयी कविता.

The first poem---an eldest sister (Hema) poem written for her two younger brothers.

"मैं हम तीन भाई-बहन में सबसे बड़ी हूँ. हम तीनो में उम्र का ज्यादा अंतर नहीं है. एक भाई मुझसे 1 साल छोटा है तो दूसरा 3 साल. लगभग हमउम्र होने के कारण अक्षर हम लड़ते-झगड़ते रहते है पर इसका मतलब यह नहीं की हमारे बीच प्यार नहीं....बस हम एक-दुसरे को अपना प्यार जाहिर नहीं करते. पर जानतें है कि हम एक-दुसरे के बिना नहीं रह सकते. मन ही मन एक-दुसरे को प्यार करते हैं....बस यही कुछ मैंने अपनी कविता में कहने की कोशिश की है....."

"I am the Eldest Sister among three of us. The three of us is not much difference in age. I have two brothers--one brother 1 year younger and the other is 3 years younger than me. Because of almost similar age we fight a lot but it doesn't mean that there no love between us .... we just do not show our love for each other. But we know that one can not live without other. We kept our love for each other in our heart..... that's something I have tried to say in this poem....."


 रक्षा-बंधन

लड़ते झगड़ते युहिं एक साथ रहते हो गए हम बड़े
कभी सहमत तो कभी किसी बात पे एक साथ अड़े
माना है दो फूल अलग अलग रंग के एक ही डाली के
पर फिर जुड़े है कहीं क्यूंकि सींचती है हमें एक जड़े

गुली डंडा खेल में कभी मैं जीती तो रोये
कभी केरम में तुम जीत कर खूब खुश होए

बेफिक्र थी वो उम्र दोनों की हमने कितने मौसम साथ बिताये
बारिश में कागज़ की कश्ती तैराई तो कभी तेज़ धुप में दिन बिताये

माँ की मार और पिता की चपत पर सहमे एक दूजे को एक-टुक निहार घूरा
तो कभी दुसरे पे लगती हलकी सी डांट से खुश हो कर मुह बना बनाकर छेड़ा

एक-दूजे को अजीबो-गरीब नामो का दिया पिटारा
कभी दुसरे के गिरने पर दिया उसे सप्रेम सहारा

इस दुश्मनी और प्यार के रिश्ते को और मज़बूत किया एक पर्व ने
इस रिश्ते की गहराई समझी जब हमने तो हमको भाव-विभोर किया गर्व ने

अभी और हैं मंजिले पानी अभी और है समझना सही से हमें एक दूजे को
अभी तक साथ रहकर लड़ते रहे अभी जुदा हो के भी प्यार करना है एक दूजे को

मानती हूँ तंग हो परेशान भी होते हो तुम मुझसे और मेरी बेकार की मनमानियों से
पर अब कुछ साल ही है बाकी चली जाउंगी जल्द ही इस घर और इन गलियों से

उम्मीद है यह प्यार और बढेगा अब फिर से न होंगी कोई बड़ी लड़ाई
जब भी आया करुँगी राखी के पावन पर्व पर नहीं लगूंगी तुमको पराई

दुनिया वाले क्या जाने इस लड़ाई-झगड़ो की प्यारी दुश्मनी में है कितना प्यार छिपा
तुम्हारे हाथो पे बंधी यह डोरी के हर धागे के संग है कितने सालों का प्यार लिपा

यह रक्षा-बंधन का पावन पर्व युही आता रहे
हर डोर से हमारे प्यार को गहरा करता रहे
~'~hn~'~
(रक्षा-बंधन के पावन-पर्व पर सभी भाई-बहनों को हमारी तरफ से रक्षा-बंधन की बहुत बहुत शुभकामनाएं )



दूसरी कविता---एक छोटी बहन (सिमरन) द्वारा अपने बड़े भैया के लिए लिखी गयी कविता.

The second poem---a younger sister (Simran) poem written for her Big Brother.

"मेरा  भैया मुझे सबसे प्यारा है. मुझे किसी चीज की फिक्र नहीं होती जब भैया मेरे पास होता है. हमारे बीच और भाई बहनों की तरह लड़ाई नहीं होती और अगर होती है तो प्यार की लड़ाई."

"My Big Brother is my world best brother. There is nothing to worry about anything if he is with me...he take care of me.. There are no fight between us like other brothers and sisters and if there is one then that one would be little love fight."


RAKSHA BANDHAN
 
My giggles and your face with a charm,
Whenever you hold me in your protective arms,
Secretly I become calm...
My little eyes searching for you !!
Bhaiya... Bhaiya ..
Where are you?
My Incomplete sleep without your lullaby,
I still remember those moments ..
When my eyes were filled with tears whenever you said ''BYE'' !
My happiness expanded your smile,
When you hold my little hand ;
And I was taking step on those slippery tiles,
But your hand in my hand assured me that nothing could go wrong;
 even for a while!

My sad face on failure and your hand on my back encouraged me so wide,
That you inspired and taught me to walk on miles,
In this journey of covering miles,
You promised to protect me and do not leave aside,
I embraced you with a thread of love and wishes besides,
I have got God's angel as you my brother,
You're my valley,
You're my harbor,
You're my path,
You're my lane,
You're my angel,
You're my Brother  ..
-Simran 
(On this holy festival of brothers and sisters we wish Very Very Happy Raksha Bandhan to all brothers and sisters)





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