तुम अगर रिश्तेदारो से हमसफ़र न देते तो अकेला रह जाता इंसान.
तुम अगर मुश्किल भरे दिन न देते तो तुम को भूल जाता इंसान.
तुम अगर खुशियों भरे उत्सव न देते तो जीवन के सारे तत्व भूल जाता इंसान.
तुम अगर साहस न देते तो इतनी ताकत कहाँ से लाता इंसान.
तुम अगर हरा भरा जहाँ न देते तो कबका विलुप्त हो जाता इंसान.
तुम अगर गीता कुरान जैसे ग्रन्थ न देते तो बहक जाता इंसान.
तुम अगर इतने अवतार न लेते तो जीवन का सार कैसे जान पाता यह इंसान।
~'~hn~'~
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6 comments:
Wah..bohot khoob!!
Keep Expressing :)
thx simran.....
keep visiting....:)
तुम न लिखती यह शब्द तो
भगवान का महत्व कैसे जानता इन्सान !
भक्तीमयी रचना ! मेरा इस काव्य को और इसके रचयिता को नमन!
@Mohinee
so sweet of you mohinee di...thanks for your lines...loved them too...
aap meri racha ko naman kar sakti hai ..but mujhe ismein praye na lijiye...mujhe naman na kijiye..main to ek choti si kavayetri hoon...aap mujhse bhi acha likhti hai..
Sach men hema ji ishvar ka hi diya hua to hai sabkuchh.....
हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar
shukriya...
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