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Saturday, February 26, 2011

ज़रा गौर फ़रमाए (2)

 ख्वाब में भी ख्वाब देखूँ तेरा।
क्या कहूँ कितना हसीन ख्वाब है यह मेरा॥
~'~hn~'~  

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ख्वाबों का क्या है वो तो आते ही रहते है,
ख्वाबों के लिए सच को नहीं झूटलाना चाहिए।
हकीकत भी उतनी खुबसूरत हो सकती है,
बस हकीकत को पहचानना आना चाहिए॥
~'~hn~'~  

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दिल की तड़प को क्या बखूबी शब्दों में पिरोया है।
दिल की दुःख भरी यह दास्तान सुन मेरा दिल भी रोया है॥
~'~hn~'~  

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जब तुम दूर होते हो तुम यादो में आते हो।
जब तुम करीब होते हो तो तुम बहुत सताते हो॥
यह प्यार की डोर ही तो है जो दो दिलो को ऐसे जोड़े है।
तुम्हारे साथ बिताये कितने सारे पल है फिर भी वो बहुत थोड़े है॥
~'~hn~'~  

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दूर जब कोई हो और यादें हमको हर पल सताए,
हम यहाँ तडपे उसके लिए और वो वहाँ हँसे हँसाए।
सोचते है हम भी कुछ ऐसा कर जाए कि उसकी यादों को दिल से न लगाये,
दिल को बार बार समझाए पर कोई क्या करे जब उनकी याद सताए॥
~'~hn~'~  

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किसी के इतने करीब ना जाओ कि दूर जाना मुश्किल हो जाए।
किसी को इतना न चाहो कि भूल जाना ना मुमकिन ही हो जाए॥
~'~hn~'~ 

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तुम नाराज़ हो, माना तुम्हारा नाराज़ होने का हक है।
पर हम तो मनाएंगे...क्योंकि हमारा मानाने का मन है॥
~'~hn~'~  

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 हाँ काश के कोई होता दिल के इतने करीब।
और उसको कह सकते हम अपना नसीब॥
~'~hn~'~  

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दिल की बातों को दिल ही जाने हम तो यह जाने है कि वो हमारे है।
कितने भी दूर हो वो हमसे पर यह फासले भी तो हमारे है॥ 
~'~hn~'~  

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वाह वाह करने वाले हमें बहुत है मिले,
दिल की बातों को समझने वाले कहाँ है मिले।
अब तो दिल की बातों को अपने तक ही रखते है,
फिर न जाने कोई कहाँ कब अपनी सुनाने वाले ही मिले॥
~'~hn~'~  

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Saturday, February 12, 2011

ज़रा गौर फ़रमाए (1)

 हम तड़पते है दिन रात,
कहने को तुमसे एक बात।
अब क्या कहने को बाकी रहा,
सब कुछ बयां करती है यह रात॥
~'~hn~'~  

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बिन बोले bye वो चले गए।
ऐसा लगा वो हमें ही बेवफ़ा कह गए॥
sms किया उसने तो पता चला,
कि वो तो अपनी वफ़ा निभा गए।
बस हमे ही बिन मौका दिए,
वो वफ़ा पे दो बातें सुना गए॥
~'~hn~'~  

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कोई नही है।
अजी, कोई भी तो नही है॥
एक बस हम है और हमारी तन्हाई है।
क्या मेरे दिल में बजती हुई कोई शेनाई है॥
अगर कोई होता तो उसे सब बताती।
यह अपने दिल की सारी बातें मैं सब से इस तरह क्यों छुपाती॥
एक बस हम है और हमारी तन्हाई है।
क्या मेरे दिल में बजती हुई कोई शेनाई है॥
~'~hn~'~  

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मेरे दिल के पागलपन की ऐसी हद थी।
यह मेरी उनसे मिलने की कैसी जिद्द थी॥
~'~hn~'~  

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तुमसे मुझको कहना है यहीं।
कि तुम बिन मुझको जीना नहीं॥
तुमसे बिछड़ के जाए कहाँ।
तुम्ही से तो है यह प्यार भरा जहाँ॥
तुम बिन मेरी राते हैं सुनीं।
तुम बिन मेरी बातें हैं अधूरी॥
तेरी आँखों से देखे मैंने सपने हंसी।
तुम्हारे सिवा कोई और मेरे दिल में नहीं॥
~'~hn~'~  

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Tuesday, February 8, 2011

Women



Women have an extra edge of "WO" over the MEN
As a woman I am always proud to be one of them
Women like pinks, Men like Blue
Let us now know the Power of the "W"

 




Woman as a Mother of the man
In this world of man she is the first who "Welcomes" the man
She nourishes him, she cherishes him,
She is always there for him
She feeds him, she leads him,
She actually a need for him



Woman as a Sister of the man
Being grew up with him she is always a "Well Wisher" of the man
She is a competitive, she is supportive,
Sometimes she fight with him without any motive
She sometimes talk like a friend, she is sometimes quiet at her end,
Sometimes she show the paths like a guide




Woman as a Wife of the man
In the whole life of man she is true "Walking companion" of the man
She is tender, she is lover,
She is actually sacrifice for him every part of her
She understands him, she cares him,
She is actually inside him as she share him



Woman as a Daughter of the man
Holding her in his hand, she is a "Wish" of the man
She is a blossom, she is an awesome,
Whenever he asked her she says he is handsome
She is ready to flew, where to go no clue,
She is for him just like dream come true




Women in these four different role in the life of the man
She done nothing but actually just give back to the man
The affection, care, love, passion, gentleness and the guardian
All which man gave to the women he all gets the same in return
~'~hn~'~

Sunday, February 6, 2011

अब यह जहाँ रहने लायक कहाँ रहा

 

अब यह जहाँ रहने लायक कहाँ रहा,
कहाँ वो भाई चारा कहाँ वो इंसान रहा |
वो प्यार माँ के लिए पिता के लिए स्नेह अब कहाँ रहा,
इतनी जमीन मेरी इतनी है तेरी धरती माता को बाँट इंसान रहा ||




जहाँ रहतें थे सब मिलजुल कर सब कहते थे हम एक है,
वही परिवार अब बट गया बोले आधा-आधा ही ठीक है |
यहाँ अब भाई भाई के खून का प्यासा है,
सबका प्यारा दुलारा तो अब सिर्फ़ पैसा है ||



जियो और जीने दो जैसे नारा अब कहाँ,
इंसानियत का कोई नही साथी हर मजहब के लोग जहाँ |
सब है करते अपने अपने धर्म की बातें यहाँ,
हिंदू रहे हिंदू मुस्लिम रह गए मुस्लिम यहाँ |
अब गुरुनानक जी और इशु मसी के बोल कहाँ,
सब इंसान कहते ख़ुद को पर इंसानियत है कहाँ ||


~'~hn~'~
(Written after 13 September 2008 Delhi bombings.... I was to upset at least 30 people killed and over 100 injured )

Thursday, February 3, 2011

LOVE

In this social world LOVE is GOD,
In any relationship LOVE is a spinal Cord.
Love is a mixture of all feelings,
Love is compact pack of every things.
Love is a trust,
which never rust.
Love is a small nest,
where everyone want to rest.


Love make you on the Top of the world and then fall,
Love make you tough in difficult times like a wall.
Love make you rise at various times like a sun,
Love make you happy and enjoy lot of fun.


   
Love make you loyal,
Love make you royal.
Love make you dependable,
Love make you responsible.
Love make you lovable,
Love make you reliable.




Love make you mad for someone,
Love make you cry for someone.
Love make you die for someone,
Love make you sad for someone.





 
Love make you live with someone,
Love make you dive with someone.
Love make you share with someone,
Love make you fair with someone.
Love make you enjoy with someone,
Love make you fly with someone.
Love make you flow with someone,
Love make you glow with someone.

 

Love make you serious,
Love make you spontaneous.
Love make you emotional fool,
Love make you special from the all.
Love make you honest,
Love make you confident.
Love make you dreaming,
Love make you caring.



Love make you naughty,
Love make you flirty.
Love make you hotty,
Love make you catty.

Love make you to do sacrifice,
Love make you to do romance.
Love make you to do dance,
Love make you to have a best chance.



Love make you keep your heart pure,
Love make you feel GOD for sure.
Love make you to open the door,
Love make you to say yeh dil maange more.




In this social world LOVE is GOD,
In any relationship LOVE is a spinal Cord.
Love is a mixture of all feelings,
Love is compact pack of every things.
Love is a trust,
which never rust.
Love is a small nest,
where everyone want to rest.
 ~'~hn~'~ 




Wednesday, February 2, 2011

घटना--जिसमें मुझे घबराना चाहिए था पर मैं नहीं घबराई..

यह बात 1990 की sept के किसी दिन की है। मेरे मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गए हुए थे। मैं घर के बाहर ही अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। मैंने अपने दोस्तों से दौड़ लगाने को कहा। सब मान गए। फिर एक जगह से शुरू करते हुए कई गलियों से निकल कर बड़ी सड़क के उस ओर जा कर वापस आना था। यह हमारी दौड़ का रास्ता था। मगर मेरी एक सहेली बोली यह तो बहुत दूर है। फिर सबके कहने पर वो मान गई.

दौड़ शुरू हुई। मैं दौड़ते दौड़ते बहुत आगे निकल आई। मैं बड़ी सड़क तक पहुच गई मगर वहाँ दोपहर के समय पर कम भीड़ होती है। मैंने आराम से सड़क पार कर ली। जब मैं वापस सड़क पार करके आई तो मैं अपना रास्ता भटक गई। मुझे अपनी गली का पता ही नहीं चला और दूसरी गली में चली गई। आगे रास्ता न मिलने पर मैं गबरा गई। फिर एक आदमी मुझे मिला उसने मुझसे कहा कि वो मुझे मेरे घर तक पहूचा देगा। उसने मुझे मेरे और मेरे पापा के बारे पुछा। मैंने घर का पता बता दिया। जिस से वो मुझे घर पँहुचा सके।

जैसे ही उसने सड़क पार की उसने मेरा मुह एक कपड़े से जोर से बंद कर दिया। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या कर रहा है। उसने कपड़े के उपर एक और कपड़े से उसे बंद दिया। मैंने बहुत कोशिश की उसके हाथो से निकल जाऊं मगर उसने मुझे बहुत कस के पकड़ा हुआ था। फिर उसने मुझे एक गाड़ी में बिठा दिया। गाड़ी चलने लगी। उस गाड़ी में एक और आदमी भी था जो गाड़ी चला रहा था। करीब एक घंटे बाद गाड़ी एक जगह रुकी। वो जगह बड़ी सुनसान सी थी।
 
फिर उस आदमी ने मुझे कई गलियों से निकालते हुए एक मकान में ला कर बंद कर दिया। थोडी देर बाद वो आया उसने मेरे मुह से कपड़ा हटाया और बोला " चीखना चिलाना नहीं। यहाँ कोई नहीं सुनेगा मकान बिल्कुल खाली है। तुमको भूख लगी होंगी। लो परांठे लाया हूँ। खा लो।"

मैंने कई घटनाएं सुनी थी जिसमें बच्चो को उठा कर ले जाते थे और फिर घर वालो से पैसो की मांग करते थे। जिसको पूरा न करने पर कई बच्चो को मार भी डाला था कई घटनाओ में। लेकिन कुछ घटनाओ में बच्चो ने अपनी सुझबुझ से ऐसे लोगो को चकमा दिया था और बच निकले थे। मैं समझ गई थी यह वैसे ही लोग हैं। मैं यह भी जानती थी मेरे मम्मी-पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं मगर उनके पास इतने पैसे न हुए जितने यह लोग मांग करेंगे तो पापा पुलिस की मदत भी ले सकते है। मगर मुझे भी समझदारी से काम लेना होगा। मैं यहाँ से निकलने की तरकीबे सोचने लगी।


वो मुझे परांठे दे के जा चुका था। मैंने दरवाजा खोलने की खूब कोशिश की पर सब नाकामयाब थी। वो दरवाजा बहुत मजबूत था और उसने बाहर ताला लगा दिया था। मैं और कोई तरकीब सोचने लगी। बस एक मौका चाहिए था मुझे जो कि मुझे जल्द ही मिलने वाला था।

रात को करीब 7-8 बजे वो आदमी फिर खाना ले कर आया। मैंने देखा उसने दरवाजे से ताला और उसमें लटकी चाबी वहीँ दरवाजे पे ही छोड़ दी है। मुझे लगा यही अच्छा मौका है। मैं पेट को ज़ोर से पकड़ कर जोर से चिलाई "आआअ...... आहह....... मेरा पेट.....दर्द हो रहा है.....उफ़...आआहह्ह" वो घबरा गया था जैसा कि मैंने सोचा था। उसके हाथ में खाने की प्लेट थी। वो मेरी ओर बढने लगा। उसके कुछ कहने से पहले ही मैंने सोच लिया था की क्या करना है। जैसे ही वो मेरे करीब आया मैंने उसके हाथ की प्लेट पे ज़ोर से धक्का दिया और प्लेट उसके मुहँ पे जा लगी। वो बोखला गया था। मैं जल्दी से मकान से बाहर निकल गई और जल्दी से दरवाजा बंद करके ताला लगा दिया। मगर वो अंदर से दरवाजा हिला रहा था। तो चाबी मेरे हाथ से वहीँ गिर गई। मैंने इधर उधर देखा। समझ नहीं आ रहा था कि किधर जाऊं। फिर मैंने देखा सड़क गिली थी। शायद अभी अभी ज़ोर से बारिश हुई थी जिसकी वजह से सड़क बिल्कुल साफ़ थी। बस कुछ पेरों के निशान थे जो गिली मिटटी से बने हुए थे। मैं बस उस ओर चल दी। बहुत सी गलियों में घूमने लगी। वो जगह सच में सुनसान थी। शायद यहाँ कारखाने थे। कोई रहता नही था क्योंकि मैंने मकान में मशीनों के चलने की आवाजें सुनी थी।

बहुत इधर उधर घूमने के बाद मुझे एक जगह दूर वो गाड़ी दिखाई दी। मैं एक जगह छुप गई। उस गाड़ी के पास वो दूसरा आदमी घूम रहा था। मैंने मौका देख कर वहाँ से भागने का सोचा। सो मैं वहीँ छुपी रही ताकि वो मुझे ना देख सके। मेरा दिल पकडे जाने के डर से जोरो से धड़क रहा था।
 बहुत देर बाद वो आदमी कुछ परेशान सा हो गया और गाड़ी के अंदर बैठ गया। मैंने यह मौका ठीक समझा और नीचे झुकते हुए गाड़ी के पीछे तक चली गई। फिर 15 मिनट के बाद वो गाड़ी से निकल कर कुछ बडबडाता हुआ गली के अंदर चला गया। मैंने ज़ोर से चेन की साँस ली। इधर उधर देखा। मगर कुछ समझ नहीं आ रहा था। जैसा कि वो जगह मेरे लिए अनजान थी और वो जगह सुनसान होने क कारण मुझे काफ़ी डरा चुकी थी। फिर अचानक गली के अंदर से आवाज़ आयी। "वो भाग कैसे गई। तुमसे एक छोटी सी लड़की नहीं संभाली गई।"

मैं समझ गई वो दोनों यहीं आ रहे है। मैं थोड़ा और घबरा गई थी। मैं फिर झुक गई। फिर मैंने देखा गाड़ी की डिक्की खुली हुई थी। मैं चुपके से उसके अंदर बैठ गई। वहाँ अंदर डिक्की में बहुत अँधेरा था। मगर मुझे उन दोनों की आवाजे सुनाई दे रही थी। "मैंने तुमको सिर्फ़ खाना दे कर आने को कहा था..अब वो अंदर गलियों में भी नहीं मिली।" दूसरा आदमी बोला "...और अब यहाँ बाहर भी नहीं है। पता नहीं कहाँ तक चली गई होगी।" फिर दुसरे ने झट से बोखला के बोला "मगर मैं तो तब से यहीं खड़ा हूँ। मुझे तो वो यहाँ से बाहर आती नही दिखाई दी। यह सब तुम्हारी बेवकूफ़ी की वजह से हुआ है। तुमने ताला चाबी वहाँ ऐसे ही छोड़ दी, अब बॉस को क्या बोलेंगे।"

10-15 मिनट तक वो लोग वही मुझे ढूँढ़ते रहे। तभी एक ने कहा "कहीं वो वहीँ तो नहीं चली गई जहाँ से हमने उसे उठाया था। हो सकता है वो किसी और रास्ते से गलियों से निकल गई हो और उसको रास्ता पता हो। चलो वहीँ जा कर ढूढ़ते है।"...और वो गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी चलने लगी। गाड़ी के रुकते ही एक आदमी ने कहा "तुम यहीं खड़े रहो मैं उसके घर के आस पास देख कर आता हूँ।" तब दुसरे ने कहा की "मैं बॉस को फ़ोन कर देता हूँ।"

जब थोडी देर तक उन दोनों की कोई आवाज़ नहीं आयी तो मैंने डिक्की खोली और देखा यह तो वही बड़ी सड़क थी जहाँ से मुझे उठाया गया था। मैं डिक्की से बाहर आयी और देखा एक दूकान में उन दोनों में से एक आदमी फ़ोन पे बात कर रहा था। मैं नीचे झुक गई ताकि उसे नज़र न आऊँ। इधर उधर देखा फिर एक दूकान में बहुत भीड़ देखी। सोचा अच्छी जगह है छुपने के लिए। मौका देख कर उस दूकान में चली गई। भीड़ के अंदर चली गई। फिर एक आवाज़ आयी "भईया ज़रा दो किलो चीनी देना।" मैंने देखा की जहाँ से आवाज़ आ रही थी। वहीँ एक आदमी खड़ा था जिसको जल्दी से पहचान गई थी। वो मेरे पड़ोस में ही रहते थे। उनका नाम मनोज था। मैं उनको आवाज़ देना चाहती थी मगर उस अपहरंकर्ता के डर के कारण आवाज़ नहीं निकल पायी। वहीँ छुपी रही। मनोज अंकल बार बार दूकानदार से चीनी मांग रहे थे। मगर भीड़ होने के कारण दुकानदार उनको सुन नहीं रहा था। मुझे लगा कहीं मनोज अंकल चले न जाए।

फिर मैंने हिम्मत कर बाहर देखा तो वो दोनों आदमी जल्दी से गाड़ी में बैठ कर चले गए। तब जान में जान आयी और मैं दूकान के बाहर आ कर मनोज अंकल के करीब आ गई। वो मुझे देखते ही बोले.."अरे तुम यहाँ हो। तुम्हारे घर में तो सब तुमको लेकर बहुत परेशान है। पुलिस वाले भी तुमको ढूंढ रहे है। तुम्हारे मम्मी-पापा का तो रो रो कर बुरा हाल है। चलो तुमको तुम्हारे घर छोड़ दूँ। वैसे तुम कहाँ चली गई थी।"
रास्ते में मैंने उनको सब रोते रोते बताया। घर पहुचते ही मम्मी-पापा मुझे देख कर मुझसे लिपट गए। बार बार रो रो कर मुझे गले लगा रहे थे और बीच बीच में मुझे प्यार भी कर रहे थे। मुझे पाकर घर वाले सब बहुत खुश थे और एक साथ इतने सवाल पूछ रहे थे। मैं बहुत कोशिश कर रही थी जवाब देने का, मगर उनके सवाल ख़त्म ही नहीं हो रहे थे। साथ ही साथ बार बार भगवान् और मनोज अंकल को धन्यवाद दे रहे थे। फिर मुझे पता चला की उन अपहरंकर्ताओं घर के बाहर एक चिट्टी रख दी थी जिसमें उन्होंने 5 लाख की मांग की थी। मम्मी तो यह सब सुन कर बेहोश ही हो गई थी।

पापा ने भी मनोज अंकल को शुक्रिया कहा। मम्मी ने भगवान् को उनकी इस असीम कृपा के लिए शुक्रिया कहा। सब मेरी आप-बीती सुन ने लगे। बार बार अचम्भे से मुझे निहारने लगे और मेरी बहादुरी और समझदारी पर मुझे शाबाशी देने लगे। फिर पापा पुलिस को साथ ले कर आए और बोला "बेटे सब कुछ पुलिस अंकल को बताओ"..पुलिस अंकल ने मुझसे काफ़ी सवाल पूछे। पुलिस अंकल ने मुझे बताया की मैं अपने पापा की तरह समझदार और बहादुर हूँ। पुलिस अंकल ने बताया की आजकल इस इलाके में ऐसी बहुत सी घटनाएं हो चुकी है। मगर हर बार घर वाले डर की वजह से पुलिस को नहीं बुलाते थे। मगर पापा ने पुलिस को बता कर बहुत समझदारी दिखायी है।

रात के खाने के बाद पुलिस वाले अंकल दो लोगो को साथ ले कर आए थे जिनको मुझे उन अपहरंकर्ताओं का हुलिया बयां करना था। थोडी देर में मेरे बताते ही उन्होने तो तस्वीर बना दी। जो कुछ कुछ उन दोनों अपहरंकर्ताओं से मिलती थी। पुलिस अंकल को मैंने यह भी बताया की उनका एक बॉस भी है और वो लोग मुझे एक ऐसी जगह ले गए थे जहाँ मशीन चलने की आवाजे आ रही थी।

 करीब एक हफ्ते और चार दिनों बाद पुलिस वालो ने बताया की वो लोग यहाँ शहर से दूर किसी दूसरे शहर में पकड़े गए है। बस अब उनसे उनके बॉस के बारे पूछताश हो रही है। मैं अपने दोस्तों,स्कूल,आस-पड़ोस और घर में सबके बीच बहुत मशहूर हो गई थी। हर कोई मुझे समझदार और बहादुर लड़की बता रहा था मगर मैं तो उन अपहरंकर्ताओं के पकड़े जाने पर और घर वालो इतना प्यार पाकर बहुत खुश थी।

THE END

~'~hn~'~  
(First story written in 10th std when my hindi Teacher gave whole class to write an descriptive story on some incident of childhood which make us famous/popular among family, cousins and neighborhood ....so i wrote this story (imaginary) "Gatna--jismein mujhe gabrana chahiye tha par main nahi gabraayi". though I remembered i had submitted another true story instead as this was imaginary)


so hows it??
criticism also invited here..:-)

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

दोस्त



मेरे दोस्त मेरे यार, याद है मुझे वो तेरा निछल प्यार.
गाता है मेरा तार तार, करती हूँ मैं तुम्हे याद बार बार.
 
कभी कभी मैं सोचा करती थी, तुम धोखेबाज...हो,
जो तुम मेरे पीठ पीछे, मेरी बातें करते किया करते हो.
उन्हें चुपके से एक टेप में रिकॉर्ड करू,
फिर कभी फुर्सत में उसे सुनु.

सुना तो ऐसा लगा कितना ग़लत थी मैं,
तुम ही मेरे सचे यार हो, स्वार्थी थी मैं.



याद है मुझे वो रूठना मानना,
कई बार एक दूजे के साथ कोई फिल्मी गाना गुनगुनाना.
तुम हो मेरे मन के एक तार,
तुम ही मेरे जीवन के हो सार.
मेरे दोस्त मेरे यार
याद है मुझे वो तेरा निछल प्यार. 
 
~'~hn~'~
(Written in 10th Std after a fight and then patch-up with my friend)

Tuesday, February 1, 2011

भगवान्(GOD)




तुम अगर जिंदगानी का सफर न देते तो कहाँ जाता इंसान.
तुम अगर विश्वास की किरण न देते तो राह में खो जाता इंसान.
तुम अगर रिश्तेदारो से हमसफ़र न देते तो अकेला रह जाता इंसान.
तुम अगर मौत जैसी मंजिल न देते तो पहले ही थक जाता इंसान.

तुम अगर मुश्किल भरे दिन न देते तो तुम को भूल जाता इंसान.
तुम अगर खुशियों भरे उत्सव न देते तो जीवन के सारे तत्व भूल जाता इंसान.
 तुम अगर साहस न देते तो इतनी ताकत कहाँ से लाता इंसान.
तुम अगर मन न देते तो प्यार की चाहत कहाँ से लाता इंसान.

तुम अगर हरा भरा जहाँ न देते तो कबका विलुप्त हो जाता इंसान.
तुम अगर दिमाग न देते तो जानवर ही रह जाता इंसान.
तुम अगर गीता कुरान जैसे ग्रन्थ न देते तो बहक जाता इंसान.
तुम अगर इतने अवतार न लेते तो जीवन का सार कैसे जान पाता यह इंसान।
~'~hn~'~

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