जिस तरह डूबे हो जब गहराई में तब आसमान की ऊँचाइयों का अनुमान नहीं होता
और इसी तरह आसमान में उड़ते हुए कभी सागर की गहराईओं का गुमान नहीं होता
कल कल बहते पानी का कोई साहिल कोई किनारा नहीं होता
पल पल हारने वाले मन का कोई साथी कोई सहारा नहीं होता
रोज़ उठती है सागर में ऊँची बड़ी लहरें जिनका कोई मुक़ाम नहीं होता
मेहनत और लगन से काम करने वालो का कभी कोई काम नाकाम नहीं होता
मल-मल के बिछोने पे सोने वालो को कभी काँटों के बिस्तर की चुभन का आभास नहीं होता
रात की शीतल चांदनी में नहाने वालो को दिन के तेज तपते सूरज का सामना करने का साहस नहीं होता
भीड़ में खड़े होके दर्शक बन किसी की कला निहारते हुए मंच की महत्वता का कभी ज्ञान नहीं होता
नेता बन बैठे ताकत के नशे में चूर व्यक्ति को कभी अपनी बड़ी से छोटी भूल का भी भान नहीं होता
मुशायरे में बैठा वाह वाह करने वाला हर शख्स असल में शायर नहीं होता
यह भी तो सच है दोस्तों की तर्क देने वाले को कभी भ्रम का शिकार नहीं होता
~'~hn~'~
8 comments:
That's the best ever poem I am reading, so many diff points aur "Bhavas" in a single poem. An Unique and ultimate one...loved it. Keep it up. and name is just the perfect one.
bahut hi sundar abhivaykti. or bahut hi sundar baat kahi hai aapne apni poem k madhyam se.loved it
Amazing dii just like you :D
Wonderful choice of words! maan gaye aapko :))
wonderful poem, words touch the depth of every senses:))
गहन अर्थ लिए अभिव्यक्ति..... सभी पंक्तियाँ अर्थपूर्ण
@Mohini
thanks but i still feel it is incomplete..may be sometime i will find out some missing which will complete it...i don't know i m still not happy with this poem..missing something...
Thank you for your precious encouraging words..:):)
@some unspoken words
Thank you dear:):)
@Simran
thanks for your love sweetie:):)
@fantacy in practicality
I m glad i made u to go so deep n not to drawn...heheheehehe..:):)
@डॉ॰ मोनिका शर्मा
शुक्रिया.....मेरी लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..:):)
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