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Thursday, April 7, 2011

जीवनसाथी (part 4)

अनमोल को नहीं पता था कि उसे मौका इतनी जल्दी मिल जाएगा...जैसे ही उसने जिया को अकेले लाइब्रेरी की ओर जाते देखा वो भी उसकी ओर चल दिया..

"जिया रुको मुझे भी लाइब्रेरी जाना है।" अनमोल बोला और जिया के साथ साथ चल दिया। "जिया कल मैं नहीं आऊंगा कॉलेज" अनमोल ने जिया को बताया। "क्यों...कल ना आने की कोई खास वजह...." जिया ने अनमोल से पुछा। "वो मेरे मामा जिनके यहाँ मैं रहता हूँ उनकी posting किसी दुसरे शहर हो गई है। तो अब मुझे अपने लिए नया मकान लेना होगा रहने के लिए। आज सुबह ही मामा ने मकान देख लिया है। खैर मकान तो मिल गया है बस कल वहां अपना सामान जमाना है।" अनमोल ने जिया को बताया। 

जिया ने मुस्कुरा के अनमोल को देखा। "जिया क्या बात है आज तुम उदास उदास सी लग रही हो। कोई बात है तो मुझे बता सकती हो।" अनमोल ने जिया से सीधे सीधे ही पूछ लिया। जिया थोड़ा सा हिचकिचाते हुए बोली "नहीं..नहीं तो..मैं उदास-उदास सी... नहीं अनमोल ऐसा कुछ नहीं है...वो....वो...हाँ नौकरी भी करती हूँ ना तो बस थोडी सी थकान है और कुछ नहीं।"

अनमोल ने बहुत कोशिश की मगर जिया उसे कुछ नहीं बता रही थी। फिर अनमोल को लगा शायद कुछ ऐसा हो ही नही जैसा वो सोच रहा है जिया ठीक ही कह रही हो कि थकान की वजह से वो ऐसी लग रही हो उसे। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वो अनमोल को बताना ही नहीं चाहती हो।

अगले दिन अनमोल ठीक सुबह 8 बजे अपने नए मकान के सामने अपना सामान लीये खड़ा था। ऑटो वाले को पैसे दे ही रहा था कि उसकी नज़र सामने वाले घर पर पड़ी। वहां उसने रोशन को अंदर जाते हुए देखा। उसने आवाज़ लगानी चाही पर रोशन अंदर जा चुका था। अनमोल ने सोचा पहले घर ठीक-ठाक कर लूँ फिर सामने वाले घर में जा कर रोशन से मिल कर उसे surprise कर दूंगा। अनमोल खुश था कि उसके सामने वाले घर में कोई उसका जानने वाला ही रहता है।

करीब 8:30 बजे अनमोल घर से निकल कर सामने वाले घर की ओर चल दिया। वो उस ओर जा ही रहा था कि उसने देखा कि रोशन अपनी bike पर एक लड़की को बिठाये ले जा रहा है। वो सोच में पड़ गया कि वो लड़की कौन हो सकती है। क्योंकि अनमोल जनता था कि रोशन अकेला ही रहता है। उसके साथ और कोई नहीं था इस शहर में।

दिनभर अनमोल सोचता रहा। उसे कभी तो लगता कि उसकी सोचने की शक्ति ख़त्म सी हो गई है। और कभी उसे लगता कि वो जो सोच रहा है ऐसा क्या पता हो ही ना। शाम को करीब 4 बजे उसने कॉलेज जाने की सोची। वो जिया से मिलना चाहता था....सच का पता लगाना चाहता था। वो कॉलेज के गेट तक पंहुचा ही था कि उसे महक और दीपक दिखे। उनसे पूछने पे पता चला की जिया आज जल्दी ही कॉलेज से चली गई थी।

वापस घर आया तो अनमोल ने जिया को रोशन के साथ ही देखा। दोनों उस सामने वाले घर की ओर जा रहे थे। उन लोगो ने भी उसे देख लिया था। "अरे अनमोल तुम यहाँ कैसे ....कितनो दिनों बाद मिले..." रोशन बोला। अनमोल ने देखा कि जिया ने वही कपड़े नहीं पहने हुए थे जो सुबह उसने रोशन के साथ बैठी लड़की को पहने देखा था। अनमोल को लग रहा था कि वो दलदल के अंदर धंसता चला जा रहा है | कोई उसे कुए में धक्का दे रहा है।

जिया थोडी सी डरी हुई लग रही थी। "अनमोल तुमने घर कहाँ लिया है। आस पास ही है क्या।" जिया ने अनमोल से पुछा। "हाँ सामने वाले घर मेरा ही तो है।" अनमोल ने जवाब दिया तो जिया के डर में और गहरायी आ गई थी। "अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा हुआ अब मुझे रोज़ रोज़ जिया को कॉलेज नहीं छोड़ना पड़ेगा। क्यों जिया अब तुम अनमोल के साथ रोज़ कॉलेज चली जाना।" रोशन खुश हो कर बोला।

"अनमोल तुम्हे बहुत कुछ बताना है चलो घर के अंदर आओ। ऐसा बहुत कुछ है जो तुम्हे नही पता है।" जिया ने अनमोल का हाथ पकड़ कर घर के अंदर आने को कहा तो अनमोल चल दिया क्योंकि उसे अपने बहुत सारे सवालों के जवाब भी तो चाहिए थे जिया और रोशन से। 

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

3 comments:

Simran said...

Aisi kya baat hai jo jiya anmol ko bataana chahti hai...
Waiting eagerly for the next part..to know raaj ki baat ;)

Hema Nimbekar said...

@simran

raaj ki baat hahahaha....arey wohi sab..next part mein..

Hema Nimbekar said...

@manpreet

thank you dear...

How u find my blog??

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