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Tuesday, April 5, 2011

जीवनसाथी (part 2)

करीब 2 बजे रोज़ जिया और अनमोल रोशन के बुलाये गए स्थान पर पहुँच जाते थे। अनमोल आगे-आगे और जिया पीछे-पीछे अब अनमोल से जिया को कोई भी दिक्कत महसूस नहीं होती थी। वो अनमोल को अपने अच्छे दोस्तों में देखने लगी थी। उस पर विश्वास करने लगी थी। क्योंकि कहीं न कहीं जिया को भी लगता था कि वो भी एक सीधे-साधे छोटे शहर से था इसीलिए वो जिया को अच्छे से समझने लगा था। और जिया भी उसे समझने लगी थी। मगर अब भी जिया रोशन को देखती तो देखती रह जाती थी... हाँलाकि  रोशन  से उसकी कुछ खास बात नहीं होती थी क्योंकि रोशन उस से ज्यादा बात ही नहीं करता था। नाटक एक बहुत ही हास्य विषय पर था। पति पत्नी को बीच होने वाली नोंकझोंक में कैसे नौकर लोग मज़े लेते है यह नाटक में हास्य रस के साथ अच्छे से दर्शाया गया था। जिया और अनमोल बहुत अच्छे से अपना अपना पात्र प्रस्तुत कर रहे थे।

फिर जब नाटक का दिन आया। जिया को मंच पे सबके सामने आने में हल्का-सा डर महसूस हो रहा था। अनमोल को बताना चाहती थी पर वो भी उसके करीब नहीं था। वो मंच के पीछे तैयार खड़ी थी तभी उसे रोशन दिखा। उसने उसे पुकारा और अपनी परेशानी बताने की कोशिश की "वो रोशन....ह्म्म्म्म....यूँ सबके सामने....पता नहीं ठीक से.....ह्म्म्म...वो क्या है न...पहले कभी..."

"तुम फ़िक्र न करो सब ठीक होगा। तुम लोग बहुत अच्छा कर रहे हो। और फिर यहाँ कोई और है भी तो नहीं बस हम विद्यार्थी लोग ही हैं इनसे क्या डरना।" रोशन बहुत अच्छे से जिया को समझा रहा था। मगर जिया भी कहाँ उसे ठीक से सुन पा रही थी..उसे तो जैसे रोशन को एक नज़र भर देखने का एक और मौका मिल गया था। खैर यह पहली बार था जब जिया को रोशन अकेले में मिला था और बहुत सी बातें कर रहा था।

फिर कुछ ही महीनो बाद रोशन से उसकी दोस्ती पक्की हो गई थी। अब रोशन और जिया अच्छे से खुल के बातें करते थे। रोशन को जैसा जिया ने सोचा था वो उसके बिल्कुल उलट था। बहुत खुलके और हंसी मजाक करने वाला। सबको उसका व्यवहार पसंद था। जिया भी अब रोशन जो चाहे वो कह सकती थी। अब वो उसे देखती ही नहीं रहती थी बल्कि उसकी बातें भी अच्छे से सुनती और अपनी बातें उसे सुनाती थी। रोशन के सामने वो अनमोल, दीपक, रहमान, महक और टीना सबको भूल जाती थी। जिया क्लास में इन सबके साथ होती थी मगर क्लास के बाद रोशन का साथ ही उसे भाता था। रोशन जहाँ कहता वो उसके साथ चल देती थी। रोशन को वो शिल्पा से भी मिलवा चुकी थी जब एक बार रोशन उसे हॉस्टल तक छोड़ने आया था। शिल्पा को भी रोशन ने अपना दीवाना बना दिया था। जिया और रोशन अक्सर कॉलेज के बाहर भी मिलने लगे थे और अब कॉलेज में तो सब उसकी और रोशन की बातें भी करने लगे थे। इसी तरह दिन बीतने लगे। 

कॉलेज का एक सत्र ख़त्म होने को था। परीक्षाएं सर पर थी अनमोल और जिया अब पढाई पे ध्यान देने लगे। ज्यादा से ज्यादा समय लाइब्रेरी में बीतने लगा था उनका। क्लास नोट्स और किताबें एक दुसरे से share करते थे। 

एक दिन अनमोल लाइब्रेरी में आते ही जिया से बोला "रोशन तुमको कैंटीन के पास बुला रहा है उसे कुछ ज़रूरी काम है शायद। " जिया बोली "अभी नही ...अभी यह भाग पढ़ लूँ फिर जाती हूँ।" अनमोल उसके सामने से किताब अपनी ओर सरकाते हुए बोला "नहीं फिर नहीं अभी जाओ। मैं यह भाग पूरा पढ़ कर तुमको कल बता दूंगा अच्छे से अभी तो तुम रोशन की बात सुन लो ध्यान से।"

जिया को यह सब अजीब लगा था। पर फिर भी वो उठी और कैंटीन की ओर चल दी। जैसे ही वो कैंटीन के दरवाजे के पास पहुँची उसे किसी के गाने की आवाज़ सुने दी। "तुम बिन जाऊं कहाँ....तुम बिन जाऊं कहाँ..." जिया ने अंदर जाते ही देखा कि यह कोई और नहीं रोशन ही गा रहा था। जिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था। 

जिया को देख रोशन और जोरो से गाने लगा। जिया का हाथ थाम कर उसके साथ नाचने लगा। जिया भी खुश होने लगी। 

फिर गाना ख़त्म होते ही रोशन अपने घुटनों के बल बैठा और एक हाथ जिया की ओर बढ़ा कर उसने कहा.."जिया मुझे नहीं पता क्यों पर जबसे तुम पढ़ाई की वजह से मुझसे कम मिलने लगी हो मैं तुमको हर पल याद करता हूँ। मुझे पता नहीं क्या हो गया है कि एक एक  दिन और तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर एक पल मुझे याद आते है। मैं ख़ुद पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ। रह रह के दिल में यही बात आ रही थी कि आज तुमसे कह ही दूँ। शायद तभी मैं पढ़ाई पे पूरा ध्यान दे सकूँ...सोचा था यह बात मैं तुमको कुछ बनके या कोई job ढूँढने के बाद बोलूँगा पर अब रहा नहीं जाता...इसलिए अच्छा है कि मैं आज ही बोल दूँ...कि....कि....I LOVE YOU......मुझे पता है मेरा इस तरह प्यार का इज़हार करना तुमको बहुत अजीब लग रहा होगा..मुझे भी लग रहा है बस अब तुम भी बोल दो कि ...YOU LOVE ME TOO.."

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

5 comments:

Anonymous said...

wow.story me twist.ab dekhna ye hai k jiya roshan ko accept karti hai ya na kar deti hai.???????

Simran said...

Wow!!
Ab to aur bhi suspence ho gaya!
Let's she there would be acceptance or ignorance!

Hema Nimbekar said...

Thanks to all of you....abhi aur bhi twist baaki hai..wait and read more..

TO BE,NOT TO BE,WHATEVER said...

This is getting more and more gripping..sorry for stopping by so late...

Hema Nimbekar said...

@TO BE,NOT TO BE,WHATEVER

hey
...WELCOME TO MY BLOG...
dear..
its ok better late than never....

How u find my blog??

लिखिए अपनी भाषा में

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