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Monday, April 4, 2011

जीवनसाथी (part 1)

"मौसी बारात आ गई है......गली के उस छोर पे है बारात" काजल ज़ोर से बोलती हुई ऊपर के कमरे तक आई। काजल जिया की मौसेरी बहन है। जिया को भी उसकी आवाज़ सबसे ऊपर के कमरे तक आ गई थी। जिया मन ही मन सोच रही थी कि आज उसकी शादी है...वो दुल्हन बनी तैयार खड़ी है...सभी ओर खुशियाँ ही खुशियाँ है। जैसा कि वो अपने सपनो में देखा करती थी। कितना कुछ बदल गया है उसकी ज़िन्दगी में पिछले इन 5 सालो में। यह घर नहीं बदला यहाँ के लोग नहीं बदले मगर फिर भी कितना कुछ बदल गया है।

उसे याद है जब वो यहाँ के पास ही के स्कूल से 12th पास करके घर आई थी तो उसके घर वाले कितने खुश थे। उसके नम्बर ही इतने अच्छे आए थे। तभी तो उसका दाखिला बड़े आराम से बड़े शहर के बड़े कॉलेज में हो गया था। वो तो बहुत खुश थी पर उसकी माँ ही बस थोड़ा परेशान थी..क्योंकि वो पहली बार घर से परिवार वालो से दूर जो जा रही थी। और वो भी इतनी दूर बड़े शहर में ..जहाँ वो किसी को नहीं जानती थी।

पर उसे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ी उसके पापा और उसके मामा ने उसे एक अच्छे से girls hostel में ठहरवा दिया था जहाँ उसे किसी बात की परेशानी नही थी और माँ को भी बहुत समझाया पापा और मामा ने की माँ मना ही नही कर पायी। माँ ने डरते डरते रोते रोते विदा किया जिया को।

जिया नए शहर में आके बहुत खुश थी। उसे पहले दिन ही एक अच्छी दोस्त मिल गई थी जो की उसी के कमरे में उसके साथ रहने वाली थी। वो उससे बड़ी थी और शहर के बड़े पोश इलाके में नौकरी करती थी। उसका नाम शिल्पा था। वो यहाँ दो साल से रह रही थी। शिल्पा ने भी यहीं इसी शहर में अपनी कॉलेज की पढ़ाई की थी और फिर यहीं काम करने लगी थी। कुछ ही घंटो की बातचीत में शिल्पा से जिया की अच्छी दोस्ती हो गई थी। अगले दिन कॉलेज जाना था। कॉलेज का पहला पहला दिन miss नहीं करना चाहती थी जिया इसलिए सुबह 7:00 बजे का alarm लगा के वो सो गई।

अगली सुबह 9:00 बजे की क्लास के लिए जिया बहुत जल्दी कॉलेज पहुँच गई थी। कॉलेज में बहुत भीड़ थी..जैसे की कोई मेला लगा हो..शिल्पा ने जिया को बताया था की कॉलेज का माहोल ऐसा ही होता है। क्लास में जैसे ही जिया ने कदम रखा क्लास के सभी लोगो ने तालियाँ बजाना शुरू कर दिया। उसे नहीं पता था कि क्या हो रहा है उसने देखा कि क्लास के एक ओर सब डरे हुए सहमे हुए कोई 30-40 लोग खड़े थे और क्लास के दूसरी ओर कुछ रोबदार कुछ हंसी-ठिठोली करते हुए लोग खड़े थे। 

"तुम first year की student हो" उस रोबदार लोगो में किसी ने जिया से पुछा। जिया कुछ बोल पाये  उससे पहले ही वो फिर बोला...."मैं रोशन हूँ। तुम्हारा senior 3rd year से।" जिया ने देखा वो लंबा-चौडा अच्छी कदकाठी वाला लड़का था। कुछ देर के लिए तो वो सब कुछ भूल कर उसे देखती ही रह गयी।

"हमने एक गेम प्लाट किया है कि जो भी अगला नया लड़का और नई लड़की इस क्लास में आएगा वो हमारे अगले कॉलेज में होने वाले नाटक में पति पत्नी के पात्र निभाएंगे। तुम वो लड़की हो इसलिए मुबारक हो। अब देखना यह है कि नया लड़का कौन होगा जो तुम्हारे साथ उस नाटक में तुम्हारा पति का पार्ट निभाएगा।"

जिया कुछ समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है। मगर उसे वो सब करना होगा जो उसे उसके seniors करने को कहेंगे यह बात शिल्पा ने उसे बताई थी। खैर वो भी सबकी तरह अपनी नज़रें क्लास के दरवाजे की ओर लगाये खड़ी हो गई। करीब 10 min बाद एक लड़का क्लास में अंदर आया..वो एक नीली shirt और काली jeans में simple सा लड़का था। पतला दुबला मगर लंबा और चौडे कन्धों वाला लड़का था। रोशन ने उसको भी वही सब समझाया जो उसने जिया को समझाया था..वो लड़का पहले तो हिचकिचाया फिर शायद जिया को देख कर पता नहीं क्यूँ मान गया। 

रोशन ने उन दोनों को क्लास में साथ बैठने को कहा...और सदा साथ रहने को कहा ताकि नाटक में दोनों  के  बीच अच्छी chemistry दिखे | जिया ने उस दिन हरे रंग का सूट डाला था क्योंकि उसे पता था कि हरा रंग उसपे बहुत खिलता है। रोशन और उसके साथियों के जाते ही सबने एक गहरी साँस ली फिर एक दुसरे से बातें करने लगे। सब लोग उन seniors के बारे में बात करते और उनके रोबदार रवैये को याद कर सहम जाते। जिया को भी बहुत सी बातें पता चली कि उसके आने से पहले भी वो लोग नए लड़के लड़कियों से गाना गवाना, डांस करवाना, एक दुसरे से लडाई करना, सब कुछ करवा चुके थे। कई नए लड़को ने मना भी किया तो उनको सज़ा भी दी गई थी। पहले ही दिन जिया सहम गई थी।

तभी क्लास में प्रोफ़ेसर आ गए और क्लास शुरू हो गई। क्लास में सब और शान्ति ही शान्ति थी और प्रोफ़ेसर के जाते ही फिर वही शान्ति भंग हो गई थी। सब लोग एक दुसरे के बारे अच्छे से जानना चाहते थे। 

"हेल्लो मेरा नाम अनमोल है। अब हमें साथ ही रहना है तो एक दुसरे के बारे में थोड़ा जान ले तो ठीक रहेगा। आपका नाम....." साथ बैठे उसी लड़के ने जिया से कहा।

"hi. जी मेरा नाम जिया है।....." जिया ने उत्तर दिया। थोडी देर तक अनमोल जिया से बात करता रहा कुछ अपने बारे में बताता और कुछ जिया से पूछता जिया भी बस दो टूक जवाब देती।

बाकी का पूरा दिन इसी तरह क्लास और दूसरी बातों में निकल गया। जिया ने दो दोस्त और बना लिए- महक और टीना और उधर अनमोल ने भी कुछ दोस्त बनाये- दीपक और रहमान। सबने एक साथ कैंटीन में खाना भी खाया |

जिया का पहला दिन कुछ खास नहीं गया जैसाकि शिल्पा ने उसे बोला था कि यह दिन एक यादगार दिन होता है। हाँ जिया ने कुछ नए दोस्त ज़रूर बनाये मगर वो तो, न जाने क्यूँ , रोशन को अपना दोस्त बनाना चाहती थी। खैर अगले कुछ 7-8 दिन ऐसे ही कॉलेज में घुमते घुमते ही चले गए। कॉलेज का खेल का मैदान, कॉलेज की लाइब्रेरी, कॉलेज के गेट के पास बैठा चाट वाला और न जाने क्या क्या ....इतना बड़ा कॉलेज देख कर भी जिया हेरान और थोडा डरी हुई थी |

और कुछ दिनों बाद, "जिया...जिया..." लाइब्रेरी के पास जिया महक, टीना, दीपक और रहमान के साथ खड़ी थी कि तभी उसे आवाज़ सुनाई दी। उसने पलट के देखा तो अनमोल उसे पुकार रहा था। अनमोल के साथ रोशन भी था जिसे देख कर जिया पता नहीं क्यों मगर खुश सी हो गई थी। जिया बिना कुछ सोचे उस और चल पड़ी।

"hello sir....how r you sir" जिया ने रोशन की ओर देख कर पुछा। 

"सर नही नही.... जिया सर नहीं तुम मुझे रोशन ही बोल सकती हो..यार हम एक ही कॉलेज में है ..यह सर सर तो ऐसा लगेगा जैसे कि मैं कितना बड़ा हूँ....मैं बिल्कुल ठीक हूँ ...तुमको याद है न हमारा नाटक जिसमें तुम्हे और अनमोल को साथ साथ काम करना है। अनमोल बता रहा था कि तुम लोग अब अच्छे दोस्त बन गए हो। अच्छा है अब तुमको साथ-साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं होगी।"

तभी अनमोल बोला "जिया मैंने रोशन को बताया है कि मैं पहले भी कई बार नाटक कर चुका हूँ। मुझे स्कूल में भी नाटक करने का बहुत शौक था।" 

फिर अनमोल रोशन की ओर देख कर बोला, "रोशन तुम फ़िक्र न करो हम सब संभाल लेंगे। मुझे बहुत अच्छा लगा रोशन कि तुम लोगो ने हम नए और fachchas को साथ में ले कर एक event कर रहे हो |"

"नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. वो तो हम लोगो को खुश होना चाहिए कि हम नए talent को एक मौका दे रहे है..यह तो बहुत अच्छा है अनमोल कि तुम पहले से ही बहुत काम कर चुके हो। फिर तो हमें भी तुमसे कुछ सीखने को मिलेगा। चलो मैं चलता हूँ मुझे अपनी क्लास के लिए जाना है...अनमोल जहाँ मैंने तुमको बताया है हाँ......वहीँ तुम जिया को सही टाइम पे कल ले आना।

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

7 comments:

Hema Nimbekar said...

thx manpreet..:):)

Alcina said...

Agle bhaag ka intezaar jaari rahega.. :)

Bohot hi achi kahani hai

Hema Nimbekar said...

thank you snehu....

Anonymous said...

wow i m waiting eagerly for the next part.plz right soon nnnnnnnnnnnnnn :)

Simran said...

Nice story!
Curious to read the next part :)

Motifs said...

As I said,never give up on your writing skills...I am enjoying your posts. “The truly creative mind in any field is no more than this: A human creature born abnormally, inhumanely sensitive. To them… a touch is a blow, a sound is a noise, a misfortune is a tragedy, a joy is an ecstasy, a friend is a lover, a lover is a god, and failure is death. Add to this cruelly delicate organism the overpowering necessity to create, create, create — so that without the creating of music or poetry or books or buildings or something of meaning, their very breath is cut off… They must create, must pour out creation. By some strange, unknown, inward urgency they are not really alive unless they are creating.” - Pearl Buck

Hema Nimbekar said...

nice quote....alpana di..every time your comment encourage me to think a lot...and motivate me to write more..thx dear...

How u find my blog??

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