दोस्तों मैं जानती हूँ की आप लोग मुझे और मेरे ब्लॉग को बहुत प्यार करते है....और आप सब मेरे मन में अक्सर आने वाले कुछ नकारात्मक विचारों से भी अवगत होंगे...मेरे कुछ पोस्ट में आपको अक्सर महसूस होता होगा...जो की सच है....क्यूंकि जब में ज्यादा उदास होती हूँ....ज्यादा सोचती हूँ....तभी एक नयी रचना कर बैठती हूँ....आज कुछ ऐसे ही विचार मेरे मन में आ रहे है....आप लोगो के साथ बाँटना चाहती हूँ...
इंसान की ज़िन्दगी बस 60-70 साल ही होती होगी....और मैं जैसे-जैसे 30 के पास आती जा रही हूँ...तो मुझे मेरी बीती ज़िन्दगी का विश्लेषण करने का मन हुआ...और मैंने पाया की मेरी 30 साल की ज़िन्दगी में मैंने बहुत कुछ पाया है...बहुत कुछ खोया भी है...माँ की कोख छोड़ी तो मासूम बचपन पाया....जब बचपन खोया तो लड़कपन पाया...लड़कपन के जाते ही खूब सारी समझ लिए जवानी आ गयी...
सच में तोतलाना सीखा तो किलकारियां कहीं घूम सी गयी....और जब अच्छे से बोल चाल आ गया तो तोत्लाहत भी जाती रही...तोलमोल के...सोच समझ के बोलना सीखा तो सारी मासूमियत और अल्हड़पन भी जाता रहा....
जानती हूँ अभी बहुत कुछ आगे है मेरी ज़िन्दगी में...अभी आधा ही सफ़र तय हुआ है...मगर फिर भी दोस्तों यह तो सच है की कुछ पाया तो कुछ खोया...मगर पाया बहुत इंतज़ार के बाद...इंतज़ार का फल बहुत मीठा होता है..यह तो सभी कहते है...मगर जब किसी को सच में लम्बे इंतज़ार के बाद कुछ मिलता है तो वही जानता है जो उसे मिला उसकी क्या एहमियत है उसके लिए...बच्चा इस दुनिया में आने से पहले भी 9 महीने इंतज़ार करता है...उसे नयी ज़िन्दगी मिलती है.....मगर 60-70 सालों बाद यही ज़िन्दगी उसे छोडनी पड़ती है....मौत यही तो है ज़िन्दगी का आखरी पड़ाव....इसका इंतज़ार भी हम ज़िन्दगी भर जी-जी कर करते है...सच में अब तो मैं यही पूछती हूँ.....
मेरी ज़िन्दगी क्या है?,
बस एक इंतज़ार,
एक लम्बा इंतज़ार....
9 महीने की कोख के बाद,
9 महीने की कोख के बाद,
मेरी पहली किलकार,
जैसे हो संघर्ष की ललकार...
5 साल बोल-चाल की कुदरती सीख,
फिर सीखा शिष्टाचार,
जो है जीवन का आधार...
लम्बी किताबी शिक्षा ले कर ही,
बन पायी होनहार,
फिर भी हूँ बेरोजगार...
बचपन से अभी तक सपनो में देखा,
सपनो का राजकुमार,
जिससे होगा मेरा घर-संसार...
सपने है अभी इस जैसे और कई,
पूरे होने को बेक़रार,
है किस्मत पे ऐतबार...
28 सालों की इंतज़ार की घड़ी चलेगी,
और कितने साल लगातार,
इसके रुकने का है बस इंतज़ार...
अभी तक की मेरी ज़िन्दगी,
आधा-अधूरा इंतज़ार,
क्या पूरा होगा ये इंतज़ार...
~'~hn~'~
10 comments:
hey bahut sundar kavita...nice
@Kanu...
Thank you dear...I know you understood what i wanted to say...
Hema,I am really impressed..keep writing..nice to see you around.
@Motifs
Thanks Alpana di...nice to see you around too..I m happy u like my post..you made my day...
Very deep and thoughtful!
Sometimes the same thought strikes into my mind too but when I shared my thoughts with people around ..They said..Why do you think so negative..?Live in today do not worry for the future..
And after getting such a bad response I thought to withdraw this thought!
But here after reading you I got overwhelm ..
Thanks for sharing :)
Very thoughtful words.. nicely penned..
@Simran
yeah sweety...ppl around me say me the same when they get my negative thoughts...we all have these negative thoughts..but we always neglect them by saying "why we think negative? we should be positive"...
but our mind is too smart it always keep us aware of both the sides of the coin....
@Rahul Bhatia
...WELCOME TO MY BLOG...
thank you so much....thanks for visiting....keep visiting..
Very true thoughts Hema
@Mohinee
Thank you dear...it is direct dil se...so it must be true thoughts..
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