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Thursday, May 5, 2011

मसककली (part 1)

जिया और अनमोल बहुत खुश लग रहे थे। शिल्पा भी उन्हें शादी के जोड़े में देख बहुत खुश थी...पर फिर भी ना जाने उसके मन में एक उदासी सी थी.....वही उदासी जो उसके मन में बहुत सालो से है...

आज वो एक शादी में शामिल हुई है और एक दिन पहले भी वो एक ऐसी ही शादी में शामिल हुई थी। जहाँ उसने नही सोचा था की उसके साथ क्या क्या होने वाला था।

हाँ उसके भाई क्षितिज की शादी....वो क्षितिज से चार साल छोटी थी... उसकी लाडली बहन। क्षितिज पहले से ही उसे बहुत प्यार करता था। और शिल्पा और क्षितिज के पापा के स्वर्गवास होने बाद तो उनका रिश्ता और मजबूत हो गया था। अब क्षितिज एक भइया या एक दोस्त नही वो अब एक बाप की तरह शिल्पा की देख भाल करता था। अपने भाई को दुल्हे बना देख बहुत खुश थी शिल्पा। उसकी होने वाली भाभी सीमा भी बहुत ही अच्छी थी। शिल्पा से सीमा की बहुत बनती थी। दोनों सहेलियों की तरह तो कभी माँ-बेटी की तरह बातें किया करते थे। शिल्पा की माँ भी शिल्पा को बहुत प्यार करती थी। वो अक्सर कहा करती थी...."एक दिन मेरा बच्चा अपने पापा का नाम खूब रोशन करेगा।" हाँ शिल्पा के पापा का सपना था की वो एक बहुत बड़ी डॉक्टर बने.... अभी तो शिल्पा डाक्टरी के कॉलेज में ही गई थी। पहला ही साल था उसका।

खैर शादी के शोर शराबे में शिल्पा को बहुत मज़ा आ रहा था....सभी रिश्तेदार जो आए थे..घर खूब भरा भरा लग रहा था। उसकी माँ और उसके मामा जी ने सब काम संभाल लिए थे....तो अब उसे तो बस मस्तियाँ ही करनी थी। उसकी खूब सारी मस्तियाँ देख लोग बार बार उसे मसककली कह के बुलाते थे। वो थी ही मसककली जब देखो हवा में उड़ती रहती थी....चंचल, मस्त और हमेशा अपने में खुश रहने वाली लड़की। जो चाहे करती जो चाहे बोलती बिल्कुल खुले परिंदे की तरह। शादी के शोर शराबे में उसके इस खुले मिजाज़ और मस्तियों को देख कर तो लोग उसे और उसकी माँ को बोलने लगे "अब तो अगला नम्बर इस मसककली शिल्पा का ही है। भाई के बाद तो इसी की शादी होगी।" यह सब सुन कर शिल्पा को थोडी हसी भी आई और शर्म भी। उसकी माँ का जवाब आता "नही अभी तो इसकी उमर पढने की है..कहाँ शादी...नही अभी तो छोटी है..".....शिल्पा अपनी माँ की इस बात पर थोडी सी नाराज़ हो जाती.."क्या माँ इतनी भी छोटी नही हूँ मैं.."

गहरी सोच और यादों में डूबी शिल्पा को एक अनजानी कड़क रोबदार मर्दानी आवाज़ ने बाहर निकला....."माफ़ कीजियेगा... क्या यह रुमाल आपका है..." शिल्पा बिल्कुल सहम सी गई... फिर थोडी देर बाद जब शिल्पा थोड़ा अपने होश में आई तो वो आवाज़ फिर आई "शायद यह वहां रह गया था। आप ही का हैं ना। देखिये तो...आप का ही रुमाल है..ना।".....

शिल्पा ने सुना तो पाया आवाज़ पीछे से आ रही थी...वो मुडी और उसने देखा उस का रुमाल लिए एक हाथ उसकी तरफ़ बढ़ा हुआ था। शिल्पा ने अपना रुमाल पहचान लिया था। तो उसने शुक्रिया बोल के रुमाल ले लिया। रुमाल लेते हुए उसका हाथ उस हाथ को छु गया...उस छुवन से वो गबरा सी गई और बिन उस आदमी की और देखे वापस मूढ़ कर चल पड़ी.....पता नही उसे क्या हो गया था.....चलते चलते वो फिर सोच में डूब गई.....

मन ही मन सोचने लगी...कई सवाल मन में उठ रहे थे। ऐसा उस के साथ पहले भी हुआ है..जिसे वो कभी भूला नही पायी थी.....और शायद ना पायेगी...वही उसका रुमाल खो जाना और किसी अनजान शख्स का रुमाल वापस करना...और फिर हमेशा के लिए उसकी ज़िन्दगी का बदल जाना......... जो उसने सोचा नही था उसे अपनी ज़िन्दगी में इतना सब कुछ ..इतनी जल्दी एक के बाद एक इतने भयानक हादसों को उसे सहना पड़ेगा..वो भी इतनी छोटी उमर में...

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

5 comments:

Hema Nimbekar said...

धन्यवाद....

Irfanuddin said...

hhmmm... i can smell the Romance developing here in the upcoming part....
will be waiting eagerly....:))

Hema Nimbekar said...

yeah...romance..and very scary too..what it is i her past that bother's her too much...

thanks for reading and commenting..

Anonymous said...

waiting for the next one

Hema Nimbekar said...

@some unspoken words
thanks for visiting

How u find my blog??

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