रोका बहुत अपने गुस्ताख दिल को,
फिर भी तुम्हे देखते ही ये रुका।
कभी न झुखने दिया किसी के आगे जिसे,
वो जिद्दी घमंडी खुद तेरे आगे ही झुका।
समझाया भी बहुत इस नासमझ को,
पर तेरे इशारे न जाने कैसे पलभर में समझा।
सिखाया पढाया सब दुनियादारी का सबक इसे,
प्यार का पाठ पढ़ सब दिया इसने ऐसे भुला।
~'~hn~'~