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Monday, January 31, 2011

पिता(Dad)

पिता, एक ऐसा शब्द है,
जो आता माँ के बाद है.

पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम ही जीवन के धर्ता हो.
तुम्हारे बिना जीवन निर्जीव है,
क्या यह संसार तुम बिन सजीव है?

सभी जगह तुम मेरे छत्र हो,
तुम ही मेरे मन के भाव मात्र हो.
पिता तुम मेरे कर्ता हो,
तुम जीवन के धर्ता हो.

माँ तो जीवन का आरम्भ है,
पर तुम तो आरम्भ से अंत तक हो.
संसार का आरम्भ , तुम ही अन्यत्र हो,
तुम ही संसार का आदि और अंत हो.

मेरी अभिलाषा है यही कि तुम मेरे सदा रहो,
दीया के संग बाती के भांति मेरे साथ सदा रहो.
फूलों की रखवाली करता है जिस तरह माली,
ऐसा पिता पा कर ही बनी मैं सबसे भाग्यशाली.

पिता, एक ऐसा शब्द है,
जो आता माँ के बाद है.

~'~hn~'~
(Written in 9th Std)

Sunday, January 30, 2011

निम्बू की रचना

जब भगवान् ने मिठास और कड़वे स्वाद बना दिए,
उन का निरक्षण कर पृथ्वी में फैला दिए.

शायद उन्होंने सोचा होगा कुछ कमी है अभी,
जब शिव सोच में पड़ गए इन्द्र भी विचार रहे थे तभी.
विष्णु ने सोचा क्यों न कुछ किया जाए,
सब के मुख पर आश्चर्य का भावः लाया जाए.

देव ऋषि ले चले संदेश ब्रह्मा के पास,
ब्रह्मा को भी अपनी शक्ति की सिधता का हुआ एहसास.
बहुत सोचा गया, बहुत विचार गया.

सभी विध्व्जनो ने लगे अपनी अपनी प्राग्य और ताकत,
विनम्रता से बोली "नवरत्न" अप्सरा आ कर.
क्यों न सभी स्वादों को मिलाया जाए,
एक नए स्वाद की रचना की जाए.

सबको आया विचार पसंद,
सभी प्रफुलित हो गए देवगण.
मिठास, कड़वाहट, तीखा, फिक्का,
सभी स्वादों मिलाये गए बनाया गया एक नया स्वाद,
तब सब ने नाम विचार, विचार कर रखा गया खट्टा स्वाद.


यही है दास्तान खट्टेपन की,
यही है कहानी निम्बू की रचना की.


~'~hn~'~
(Written in 6-8 Std I dont actually remember)
 

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