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Wednesday, March 16, 2011

"निम्मो बुआ" (part 3)

निम्मो बुआ और उनके परिवार के बारे में सीमा जितना सोचती थी उतना कम था....रमेश उनका बड़ा बेटा सीमा के दोस्त जैसा था...बहुत सीदा साधा..और बहुत intelligent भी...ambitious तो था ही....मगर उसके पापा..यानि सीमा के फुफ्फाजी हमेशा उसे बिना बात के डांटते फटकारते रहते थे...रमेश बहुत ही अच्छा लड़का था...सीमा के घर में सब उसे पसंद करते थे....रमेश भी अपने मामाओं और मौसियों के बहुत करीब था..उसको जो प्यार उसके पापा से नहीं मिलता था वो प्यार वह यहाँ अपने ननिहाल में दूढ़ता था...उसकी दादी भी उसे उतना ही प्यार करती थी..मगर वो गाँव कम ही जाता था..सीमा को यह नहीं पता था..की आखिर क्या कारण था..जो रमेश अपने दादा-दादी को पसंद नहीं करता था...

शायद उसका उसके पापा के उपर जो गुस्सा था वो ही उसे उसके दादा और दादी से दूर रखता था...खैर..सीमा और रमेश की पढ़ाई साथ साथ होती थी...कभी सीमा उनके घर चली जाती थी कभी रमेश आ जाता था सीमा के घर...दोनों मिलजुल के पढ़ते थे...सीमा भी पढ़ाई में तेज थी...मगर जहाँ बढों से बढों की तरह बात करने की बात आती तो रमेश हमेशा से ही बढों जैसी समझदारी की बातें किया करता था...सीमा को तो हमेशा बच्चो जैसा प्यार ही मिलता..क्योंकि वो बहुत चचल थी...उसका दिल हमेशा बच्चो जैसा था...सीमा समझदार थी पर वो किसी से समझदारी वाली बातें नहीं किया करती थी.....वो सब समझती थी...वो अपने पाप की समझदारी वाली बातें सुन सुन कर ही तो बड़ी हुई थी...अक्सर सीमा के पापा उस से समझदारी वाली बातें किया करते थे...पर वो तो बच्चो की तरह ही अपने पापा से बात करती थी...कभी कुछ भी दिल में आया और पापा या माँ से मांग लेना..अब वो उसे मिले या न मिले...सीमा के पापा हमेशा उसकी हर ख्वाइश देर सवेर पूरी करते थे....सीमा अपने पापा की आर्थिक स्तिथि को देख कर ज्यादा जिद्द नहीं करती थी.....पर हाँ जो दिल में होता था..की यह चाहिए वो चाहिए बोल देती थी...उसे अपने पापा पे जो पुरा विश्वास था की जहाँ तक उसके पापा से हो सकेगा वो ज़रूर करेंगे...कभी न कभी वो चीज़ ज़रूर उसे मिलेगी...सीमा ने जब schooling ख़त्म की तब उसने पापा से कंप्यूटर माँगा...और उसके पापा ने 6 महीनो बाद ही उसको कंप्यूटर ला कर दे दिया...सीमा के भाई उस से इस बात पर चिढ गए थे..की उसकी हर मांग पूरी होती है..और वो कबसे bike के लिए पापा से बोल रहे है..पर पापा हर बार टाल देते थे..खैर रमेश भी उन् दिनों कॉलेज में ही पढ़ाई कर रहा था..वो कॉलेज के बाद tutions देने लगा...

सीमा को आज भी याद है जब उसकी निम्मो बुआ जी ने सीमा के घर फ़ोन किया था...सीमा ने ही फ़ोन उठाया था..बुआ ने बताया की रमेश बिना बताये कहीं चला गया है...शायद किसी दोस्त के घर...उसका tutions देना उसके पापा को पसंद नहीं था...उसके पापा को लगता था वो अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद मज़े करता है...और इस बात पर कई बार उसके पापा से उसकी कहा सुनी हो जाती थी...बुआ जी बहुत परेशान थी...किसी को नहीं पता था की रमेश कहाँ गया हुआ है...

फिर एक दिन सीमा के घर उसके सबसे छोटे चाचा का फ़ोन आया की उनको रमेश का फ़ोन आया था...वो अपने किसी दोस्त के साथ रहता है..उसने अपने पापा को बताने को मना किया था..बस उसकी माँ यानि निम्मो बुआ परेशान न हो इसलिए यह बताने के लिए फ़ोन किया है की वो ठीक ठाक है...फ़िक्र न करे....तब सीमा के पापा ने सीमा के चाचा को बोला की अगली बार अगर उसका फ़ोन आए तो उसे यहाँ सीमा के पापा के पास फ़ोन करने को कहना....

सीमा के पापा को पता था की ऐसी उमर में बच्चो से दोस्तों की तरह ही बात करनी चाहिए...एक दो बार रमेश ने अपनी माँ से फ़ोन पर ही बात की...मगर यह नहीं बताया की वो कहाँ है....फिर एक बार रमेश ने सीमा के घर फ़ोन किया...सीमा के पापा ने उस से बात की...उसे कुछ पैसो की ज़रूरत थी...सीमा के पापा न कहा "रमेश बेटे तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था..अगर कोई पेरशानी थी अपने घर पे तो तू यहाँ आ जाता..मगर बिना किसी को  बताये कहीं किसी और अनजान व्यक्ति के पास रहना अच्छा नहीं"...रमेश ने बोला "मैं अब अपने पापा के साथ नहीं रह सकता"..तब सीमा के पापा ने कहा "तू अपनी माँ और छोटे भाइयो का सोच उन् पर क्या बीत रही है...तेरी माँ को तेरी कितनी चिंता है"...फिर सीमा के पापा ने उसे घर बुलाया और उधर निम्मो बुआ को भी बुला लिया..निम्मो बुआ फुफ्फाजी को बिना बताये आ गई..दोनों माँ बेटे मिले...माँ ने बेटे को कुछ पैसे दिए और कहा "तू जहाँ रहना चाहता है रह..मगर मुझसे दूर मत जा..मुझे तो तस्सली रहे की तू ठीक है"....इस पर सीमा के पापा ने कहा "तू यहाँ भी रह सकता है तेरे पापा को कोई कुछ नहीं बताएगा"...

रमेश बड़ी देर बाद मान गया..और दो तीन दिनों बाद वो सामान ले कर सीमा के यहाँ आ गया...सीमा के पापा, सीमा के चाचा, सीमा की दूसरी बुआ और फुफ्फाजी, सीमा की निम्मो बुआ..सबको पता था की रमेश सीमा के घर रहता है...मगर रमेश के पापा को नहीं पता चलने दिया...

रमेश सीमा के यहाँ 1+ साल तक रहा...मगर कोई कितना रमेश के पापा से छिपा सकता था..रमेश के पापा को पता चल गया था की रमेश सीमा के यहाँ रहता है....बस फिर क्या था...जब सुबह सुबह सीमा, सीमा के भाई और रमेश सब कॉलेज और स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे थे...की फ़ोन की घंटी बजी..हमेशा की तरह सीमा ने फ़ोन उठाया..फुफ्फाजी(रमेश के पापा) का फ़ोन था...पूछने लगे "रमेश है न वहां...ज़रा रमेश को फ़ोन दो"....सीमा ने कहा "नहीं फूफ्फा जी वो यहाँ नहीं है"...सीमा के फूफाजी ज़ोर से चिलाने लगे...सीमा डर गई और हेल्लो हेल्लो करते करते उसने फ़ोन रख दिया...रमेश भी डर गया...फ़ोन की घंटी फिर बजी...सीमा ने फिर उठाया...उसके हेल्लो बोलने से पहले ही फूफ्फा जी बोले "तुम मुझको बेवकूफ समझते हो...रमेश वहां है मुझे पता है...उसको फ़ोन दो..."..सीमा चुप चाप सुनती रही.."तुमको सुनाई नहीं देता सीमा....रमेश को फ़ोन दो"....सीमा ने रमेश को इशारा किया...रमेश ने फ़ोन ले लिया और सुन ने लगा...सीमा ने फूफ्फा जी का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था....फिर जब रमेश के पापा शांत हुए, रमेश धीरे से बोला "पापा मैं रमेश बोल रहा हूँ बोलो...".....उसके पापा ने उसे खूब सुनाया..और कहा "अगर तू घर आना चाहता है तो अभी दो चार दिन में आजा...मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा...वरना मैं कुछ कर बैठुगा"..रमेश डर गया...उसने कहा "ठीक है"...

उसी दिन शाम को जब सीमा के पापा घर आए तो रमेश ने उनको बताया...सीमा को तो पूरे दिन उसकी माँ और उसके भाइयों की डांट पड़ ही चुकी थी..वो भी सिर्फ़ फ़ोन उठाने पर....सीमा को भी लग रहा था अच्छा होता वो फ़ोन उठाती ही नहीं....पर वो भी क्या करे उसे ही हमेशा फ़ोन उठाना पड़ता था...कोई और फ़ोन उठाता भी नहीं था...वो नहीं उठती तो कोई भी नहीं उठाता.....सीमा को लगा उसके पापा भी उसे खूब सुनायेंगे...पर इस पर सीमा के पापा बोले नहीं..... फ़ोन न उठाने से सीमा के फुफ्फाजी और नाराज़ हो जाते... उनका गुस्सा और बढ़ जाता...फिर सीमा के पापा रमेश से बोले.."तू देख ले बेटा अगर तुझे यहीं रहना है तो कोई बात नहीं हम तेरे साथ हैं..तू उनको बोल दे की तू यहीं रहेगा...हम हमेशा हर फैसले में तेरे साथ है..जाना चाहता है तो चला जा..."...रमेश बोला "मामा जी..पर अगर उन्होंने कुछ कर दिया तो...पुलिस में रिपोर्ट कर दी तो....फिर आप पर बात आ जायेगी अभी मैं 18 का नहीं हुआ हूँ....पापा कुछ भी कर सकते है...आप पर भी इल्जाम लगा देने से नहीं चूकेंगे वो.."..सीमा के पापा ने कहा...."हाँ अब बात तो वैसे भी मुझ पर ही आएगी बेटा कोई नहीं तू हमको प्यारा है..तू जो कहेगा हम करेंगे...हमने उनसे इतनी बड़ी बात छुपाई है..मुझे पहले ही पता था...वैसे भी वो बड़े गरम दिमाग के है....बिना सोचे समझे कुछ भी कह देते है...कुछ भी कर देते है...अब हमारा तो रिश्ता ही ऐसा है...वो दामाद है..हम तो वैसे भी सुनते है..और सुन लेंगे...उनके बच्चे को बहलाने फुसलाने का इल्जाम भी सुन लेंगे"...रमेश ने कहा "नहीं मामा जी..आप ने तो इतना साथ दिया है...मैं ही परेशानी से दूर भाग रहा था...मुझे अब उनका सामना करना ही पड़ेगा.."...तभी फ़ोन बजा..निम्मो बुआ का फ़ोन था..रमेश ने बात की.."बेटा रमेश अब तू घर आजा..नहीं तो यह आदमी न मुझे और न तेरे भाइयो को चैन से जीने देगा..पूरा घर सर पे उठा रखा है..पता नहीं क्या अनाप शनाप बोले जा रहा है...तू घर आ जा..वो तुझे कुछ नहीं कहेंगे..बस घर आजा.."

फिर रमेश ने घर जाने का फ़ैसला किया...सीमा के पापा और सीमा की माँ भी उसके साथ गए..ताकि रमेश को ज्यादा न सुन न पड़े....सीमा के पापा को रमेश के पापा ने खूब सुनाया और गन्दी-गन्दी गालियाँ दी...जो की सीमा की माँ को अच्छी नहीं लगी....पर वहां बोलने का कोई फ़ायदा नहीं था क्योंकि गलती तो सीमा के माँ और पापा की थी...उन्होंने बहुत बड़ी बात जो रमेश के पापा से छिपाई थी...और सीमा की माँ पहले से ही जानती थी की रमेश को अपने घर यूँ छिपा कर रखना ठीक नहीं था..पर सीमा के पापा के फैसले के आगे वो कुछ नहीं बोली थी..पर अब उनको लग रहा था की बोलना चाहिए था..कम से कम इतना सुनना तो न पड़ता...

सीमा की माँ घर आ कर सीमा के पापा को बोली अब वहां कोई नहीं जाएगा...आप बड़े हो और वो आपको इतना कुछ सुनायेंगे...तब सीमा के पापा बोले.."अगर रमेश अकेला जाता तो उसको खूब सुनना पड़ता..हम थे इसलिए उनका सारा गुस्सा हम पर उतर गया..."...सीमा की माँ बोली.."हाँ हमने उनको बहन दी है..गालियाँ और बातें सुन ने के लिए ..और अब हम ही गालियाँ सुने...निम्मो भी चुप चाप खड़ी थी कुछ नहीं बोली...ऐसे ही रोज़ सुनाता है क्या वो....और निम्मो को तो जैसे सुनने की आदत पड़ गई हो.....अरे यह निम्मो भी न जाने क्यों उस जैसे इंसान के साथ है..क्यों नहीं अलग हो जाती..." सीमा के पापा बोले.."वो उसका फ़ैसला है उसी पे छोड़ दो...हमें तो बस साथ देना है..."......"पर मैं नहीं सुनूंगी उनकी गालियाँ...नहीं सुनना चाहती इसलिए अच्छा होगा हम उनसे दूर ही रहे...अब उनके यहाँ नहीं जाना हमें...क्या गालियाँ ही सुनते रहे पूरी ज़िन्दगी...वैसे भी रोज़ ही सुनाता होगा गालियाँ निम्मो को...और हमें..."...सीमा की माँ गुस्से में यह भी भूल गई थी की वो उनके दामाद थे...उनका रिश्ता बड़ा था।

फिर क्या सीमा की माँ को बहुत गुस्सा था मगर रिश्तेदारी की वजह से कुछ नहीं कर सकती थी..बस अपने बच्चो और अपने पति को ही वहां जाने से मना ही कर सकती थी...सीमा को भी कॉलेज के बाद सीधे घर आने को कहती थी...कही सीमा कॉलेज के बाद रमेश या निम्मो बुआ से मिलने वहां न चली जाए..डरती थी...कुछ हफ्तों बाद रमेश उनके घर आया...सीमा की माँ ने उस से कम ही बात की...

सीमा ने जब रमेश से पुछा की अब सब वहां ठीक है की नहीं...तो वो बोला मैं यहाँ अपने पापा की गालियों की माफ़ी मांगने आया हूँ..उनकी तरफ़ से.....माफ़ कर दो...मैं नहीं चाहता यह सब हो...शायद घर से चुप चाप भाग जाना मेरा फ़ैसला ठीक नहीं था...सीमा के पापा शाम को घर आ गए...तब रमेश ने उनसे भी माफ़ी मांगी...सीमा के पापा ने कहा.."नहीं बेटा..ऐसा कुछ नहीं है... अगर तू अकेला जाता तो वो तुझ पर ही बरसते...हम थे साथ में इसलिए उनका गुस्सा हम पर उतर गया..मैं तो बड़ा हूँ..हम तो शुरू से ही सुनते आए है..और हमेशा सुनते ही रहेंगे...हमारा रिश्ता भी कुछ ऐसा है...तुम बस अब अपनी माँ और अपने भाइयो का ध्यान रखो.."

रमेश अब अक्सर चुप चुप कर सीमा के घर आने लगा...उसको यहाँ आ कर अच्छा लगता था..क्योंकि यहाँ वो जो चाहे कर सकता था...अपने घर तो वो बस बूत बन जाता था न किसी से बोलना न किसी से हसना....बस अब उसके पापा उस से सवाल जवाब नही करते थे..की तू कहाँ गया था..क्यों गया था....पर अब इस सबका असर उसके भाइयो पर हो रहा था..अब वो कहीं आ जा नही सकते थे..उसके पापा ने जो मना किया हुआ था...उनको लगता था कही उनके दुसरे दोनों बेटे भी कुछ ऐसा न करें...रमेश सभी रिश्तेदारों के यहाँ बिना बताये चला जाता था...बस रात होते ही घर चला जाता था...अपने दादा-दादी के यहाँ....अपने चाचा-चाची के यहाँ नही जाता था....जैसे उसके तो मामाओं और मौसाओं-मौसियों के इलावा कोई और रिश्तेदार हो ही नही। 

धीरे धीरे समय बीतता गया...अब सीमा B.A. के बाद M.A. के first year में थी॥ उधर रमेश भी post graduation कर रहा था...सीमा के दोनों भाई भी कॉलेज में आ गए थे...रमेश का छोटे भाई भी 11th और 12th में थे...राजेश भी एक-दो बार project कंप्यूटर पे बनाने के लिए सीमा के यहाँ आ जाता था..एक-दो दिन रह जाता था...वहां निम्मो बुआ फुफ्फाजी को बोल देती की वो अपने दोस्त के यहाँ है project complete करने गया है...कई बार राजेश भी PCO से फ़ोन कर देता की वो फलाना दोस्त के घर है...

सीमा अक्सर राजेश की मदद करती थी...क्योंकि सीमा को तो कंप्यूटर पर काम करने का शौक जो था॥ उसके physics project में diagrams बनाना..उसके लिए project का layout बनाना..वगरह वगरह....और राजेश thank you कह कर चला जाता था....अब राजेश भी कॉलेज में आ गया था..सीमा का भी MA first year complete होने को था...अब बारी राकेश की थी वो भी सीमा से मदद मांगने उसके यहाँ आया....उसको भी किसी project में सीमा की मदद की ज़रूरत थी...

सीमा का भाई सूरज college tour पे जा रहा था उसको सुबह सुबह ही train पकड़नी थी...स्टेशन सीमा के मामा के घर के पास था इसलिए सीमा के पापा और उसका भाई सूरज सीमा के मामा के घर गए हुए थे...उसका दूसरा भाई नील भी किसी दोस्त की birthday party में गया हुआ था...अब घर में सिर्फ़ सीमा की माँ,सीमा और राकेश ही थे....सीमा को नील का फ़ोन आया की वो आज रात घर नही आएगा..उसके दोस्त ने बहुत बड़ी party दी है..और उसको party में देर हो जायेगी...इसलिए वो वही सो जाएगा...अगले दिन सीमा का birthday था..तो सीमा ने नील को कहा कल घर जल्दी आ जाना...

सीमा राकेश का काम खत्म करने लगी...राकेश उसे बताता जाता वो करती रहती..बहुत देर तक काम करने पर काम पुरा हो गया..सीमा ने राकेश को floppy में project की soft copy डाल कर दे दी....dinner time होने वाला था...राकेश ने कहा की वो यही रुक जाता है...सीमा ने कहा "ठीक है..मगर घर फ़ोन कर दो".... राकेश ने घर अपनी माँ को फ़ोन करके बता दिया..की वो सुबह आएगा..सीमा की माँ भी खाना बनने लगी...और सीमा और राकेश TV देखने लगे...सीमा राकेश को बीच बीच में समझाने भी लगती की उसको board के exams की कैसी तैयारी करनी चाहिए....राकेश थोड़ा सा डरा हुआ था..जैसा की उसके पापा ने उसको 80% से उपर marks लाने को कह रखा था...

TV पे गाने आते तो सीमा भी साथ साथ में गुनगुनाने लगती...फिर तीनो ने मिल कर खाना खाया...और फिर तीनो थोड़ा सा TV देखने लगे.....तभी सीमा की माँ ने कहा की वो कुछ ज़रूरी सामान लेने बाज़ार जा रही है और TV देखने के बाद सीमा को बर्तन साफ़ करने है....सीमा ने कहा ठीक है वो कर देगी...

सीमा की माँ चली गई...सीमा तो TV देख रही थी..वो सोच रही थी..की कल उसका birthday है..वो क्या क्या करेगी...इस बार वो अपना birthday दोस्तों के साथ नही...माँ और पापा के साथ मनाना चाहती थी..उसने राकेश को भी बोला की वो कल पूरा दिन यही रुक जाए...

सीमा यादों में इतना खो गई थी की कब पीहू ज़ोर ज़ोर से रोने लगी उसे पता ही नही चला...शायद पीहू को भूख लगी थी...सीमा रसोई में गई और उसके लिए ढूध बोत्तल में डाल कर ले आई...पीहु को ढूध की बोत्तल पकड़ा कर उसने टाइम देखा तो... 2:30 बज चुके थे...

to be continue....
~'~hn~'~

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

3 comments:

Hema Nimbekar said...

thanks dear...I had already visited your blog of shayeri...n gave my comments too...

Simran said...

Wow!!
Nice climax with a great message.
It's better to raise voice against the wrong things before it takes place to something big.
That's what Seema made Nimmo bua and her son realize that how wrong they were..
Enjoyed it :)

Keep Sharing :D
Take care.

Hema Nimbekar said...

thanks simran dear...I m glad you like my story..

How u find my blog??

लिखिए अपनी भाषा में

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